Ek Cup Coffee by Nirmala Singh
भूमि के मन में आया कि नाश्ता बनाने के लिए मना कर दे, लेकिन फिर सोचा कि बस इसी बात पर तूफान न आ जाए। उसने व्योम की ओर मुँह करके पूछा, ‘‘क्या खाओगे—ब्रेड-आमलेट या सब्जी पराँठा?’’
‘‘यह भी कोई पूछने की बात है?’’
‘‘मेरे सिर में बहुत दर्द हो रहा है, इसलिए पूछ रही हूँ।’’
जैसे कहीं से बू आ रही हो, गंदा सा मुँह बनाकर व्योम बोला, ‘‘तुम्हारे तो हर समय दर्द होता रहता है। बस दिनभर के कामों में सुबह का नाश्ता तो बनाती हो, उस पर भी बहाने। रहने दो, मैं खुद ही बना लूँगा।’’
भूमि उत्तर सुनकर अवाक् हो गई। क्या यह वही व्योम है, जो शहद से भी मीठी बातें उसके साथ करता था। सुबह के समय तो भूमि को बाहुपाश से छोड़ता ही नहीं था। जबरदस्ती वह उठकर घर का काम करती थी और कॉलेज जाती थी। कभी-कभी तो कहता था, ‘चलो आज हम दोनों लीव ले लेते हैं। घूमेंगे, फिरेंगे, ऐश करेंगे।’ और अब इतनी कड़वी बोली कि जहर भी पीछे छूट गया।
—इसी संग्रह से
प्रस्तुत संग्रह की कहानियाँ लेखक और पाठक के दिलों को पुल की भाँति जोड़ती हैं। कथानक वास्तव में प्रभावोत्पादक, विचारोत्तेजक एवं जीवन के यथार्थ के साथ-साथ कल्पना एवं संवेदना से भरपूर है।
मर्मस्पर्शी, संवेदनशील, रोचक-पठनीय कहानियों का संकलन।
Publication Language |
Hindi |
---|---|
Publication Access Type |
Freemium |
Publication Author |
NIRMALA SINGH |
Publisher |
Prabhat Prakashana |
Publication Year |
2014 |
Publication Type |
eBooks |
ISBN/ISSN |
9788177212297' |
Publication Category |
Premium Books |
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