Mahatma Gandhi Sahityakaron Ki Drishti Mein by Aarsu
इतिहासकार, राजनीतिज्ञ, दार्शनिक, आध्यात्मिक आचार्य तथा समाजशास्त्रियों ने गांधीजी का मूल्यांकन अपनेअपने ढंग से किया है। भले ही गांधीजी कारयित्री प्रतिभा के उज्ज्वल साहित्यकार नहीं थे, तथापि उस श्रेणी के कई श्रेष्ठ साहित्यकारों ने गांधीजी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला है। समकालीन साहित्यकारों ने एक युगस्रष्टा के रूप में उन्हें अंगीकार किया था। टैगोर ने उन्हें ‘महात्मा’ पुकारा था। गांधीजी ने टैगोर को ‘गुरुदेव’ माना था। वह लेखकराजनीतिज्ञ के परस्पर आदर का युग था।
राष्ट्रीय आंदोलन के युग के हिंदी साहित्यकारों की गांधीस्मृतियाँ इधरउधर बिखरी पड़ी हैं। वह समताममता का युग था। आदर्श का आलोक उस युग के साहित्य की खूबी थी। कई साहित्यकार गांधीजी के संपर्क में आ सके थे। इसलिए उनकी रचनाओं में युग बोल उठा था। वे मानवीय मूल्यों के संरक्षक बन सके थे। कई प्रकार के फूल इधरउधर बिखरे पड़े हों तो उनका महत्व हम समझ नहीं पाएँगे। एक साधक आकर एक धागे में उन फूलों को कलात्मक ढंग से पिरो देता है तो हमें एक माला मिलती है। यह पुस्तक 20वीं सदी के कई महान् साहित्यकारों की गांधीस्मृतियों का पुष्पहार बन गई है।
विश्व भर के शांति प्रेमी आज आशान्वित होकर गांधीमार्ग की ओर देख रहे हैं। इसलिए उनके बारे में नई पीढ़ी को अनूठी सामग्रियों की जरूरत है! आशा है, यह पुस्तक सबके लिए एक प्रकाशस्तंभ बनेगी।
Publication Language |
Hindi |
---|---|
Publication Access Type |
Freemium |
Publication Author |
AARSU |
Publisher |
Prabhat Prakashana |
Publication Year |
2015 |
Publication Type |
eBooks |
ISBN/ISSN |
9788177212501' |
Publication Category |
Premium Books |
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