Dr. Ambedkar Rajneeti, Dharm Aur Samvidhan Vichar by Narendra Jadhav

भारत में लोकतंत्र है या नहीं है, सच क्या है? जब तक लोकतंत्र को गणराज्य से जोड़ने या लोकतंत्र को संसदीय सरकार से जोड़ने से पैदा हुई गलत फहमी दूर नहीं हो जाती, इस सवाल का कोई ठोस जवाब नहीं दिया जा सकता। भारतीय समाज व्यक्तियों से नहीं बना है। यह असंख्य जातियों के संग्रहण से बना है, जिनकी अलगअलग जीवनशैली है और जिनका कोई साझा अनुभव नहीं है तथा न ही आपस में लगाव या सहानुभूति है। इस तथ्य को देखते हुए इस बिंदु पर बहस करने का कोई मतलब नहीं है। समाज में जातिव्यवस्था समाज में उन आदर्शों की स्थापना तथा लोकतंत्र की राह में अवरोध है।
—इसी संग्रह से
डॉ. बाबासाहब आंबेडकर एक राष्ट्रीय नेता थे। उन्हें मात्र दलित नेता कहना, उनकी विद्वत्ता, जनआंदोलनों, सरकार में उनकी भूमिका के साथ न्याय नहीं होगा। युगों पुरानी जाति आधारित अन्यायपूर्ण और भेदभावकारी समाज में सामाजिक समानता और सांस्कृतिक एकता के जरिए लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने का उनका व्यापक दृष्टिकोण जगजाहिर है। मानवाधिकारों के राष्ट्रवादी और साहसी नेता के रूप में उनके भाषणों में आधुनिक भारत की सामाजिक चेतना को जगाने के लिए उनके जीवनपर्यंत समर्पण की झलक मिलती है। लोकतंत्र के प्रबल हिमायती डॉ. भीमराव आंबेडकर के लोकतंत्र, राजसत्ता तथा शासनप्रशासन के विषय में दिए पथप्रदर्शन करनेवाले भाषणों का अत्यंत महत्त्वपूर्ण संकलन।

Publication Language

Hindi

Publication Access Type

Freemium

Publication Author

NARENDRA JADHAV

Publisher

Prabhat Prakashana

Publication Year

2017

Publication Type

eBooks

ISBN/ISSN

9789350485880'

Publication Category

Premium Books

Kindly Register and Login to Shri Guru Nanak Dev Digital Library. Only Registered Users can Access the Content of Shri Guru Nanak Dev Digital Library.

SKU: 9789350485880.pdf Categories: , Tags: ,
Reviews (0)

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Dr. Ambedkar Rajneeti, Dharm Aur Samvidhan Vichar by Narendra Jadhav”