Cinema Aur Sitaron Ka Mayajaal by Jayprakash Chowksey

हिंदी फिल्में अब इतनी लोकप्रिय हो गई हैं और जीवन का अहम हिस्सा बन गई हैं कि पत्रपत्रिकाओं में इन्हें खूब जगह मिलती है। दरअसल कृषिप्रधान भारत जाने कैसे फिल्ममय भारत हो गया है। हमारी रोजमर्रा की भाषा में भी फिल्म के शब्द व मुहावरे आ गए हैं, जैसे किसी भी घटना का हिट या फ्लॉप होना या अस्पताल में उम्रदराज आदमी के क्लाईमेक्स की रील चल रही है, यह कहना! हालात तो कुछ ऐसे हैं, मानो पूरा भारत ही एक विशाल परदा है और उस पर कोई मसाला फिल्म चल रही है, जिसमें मारधाड़ के दृश्य हैं, मेलोड्रामा है और गीतसंगीत भी है। कभीकभी यह फिल्म फूहड़ भी हो जाती है। हमारा यथार्थ ही इतना फिल्मी हो गया है कि यह कालखंड काल्पनिक लगता है।
यह संकलन प्रसिद्ध फिल्म समालोचक जयप्रकाश चौकसे के हिंदी सिनेमा पर लिखे रोचकरोमांचक और जानेअनजाने दृष्टांतों का लेखाजोखा है। वे कुछ क्लोजअप और लॉन्ग शॉट्स के जरिए भी हमारे लिए दृश्य रच देते
हैं। जो कुछ भी परदे के पीछे रह जाता
है, नेपथ्य में ओझल है, उसे वे प्रतिदिन
के रंगमंच पर ले आते हैं और ऐसा वे किसी अदाकारी अथवा नाटकीयता के जरिए नहीं बल्कि सरलता और सहजता से करते हैं।
हिंदी सिनेमा, उसके कलाकारों, उसकी सफलताअसफलता का पूरा सफर बड़ी सुंदर शैली में प्रस्तुत करती रोचक पुस्तक!

Publication Language

Hindi

Publication Access Type

Freemium

Publication Author

Jayprakash Chowksey

Publisher

Prabhat Prakashana

Publication Year

2015

Publication Type

eBooks

ISBN/ISSN

9789351860983'

Publication Category

Premium Books

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