Jab Socho Bara Socho by N. Raghuraman
बुद्धि 29 वर्ष की है। बचपन से साहसी और सहानुभूति की भावना रखनेवाली। उसके जीवन में घटित हुई कई घटनाओं ने उसके चरित्र को और मजबूती दी। वह दिल्ली के पास नोएडा में एक आई.टी.फर्म में नौकरी करती है। एक प्राइवेट अस्पताल में उसका इलाज हुआ है। उसने किया क्या था?
उसने नोएडा में अपनी जिंदगी खतरे में डालकर 15 वर्षीय बच्ची का विवाह रोका था। लड़के की माँ ने उस पर पीछे से हमला कर दिया था। इससे उसके गले के पीछे कट लग गया था। इससे पहले भी सुबुद्धि ने नोएडा में ही एक नाबालिग लड़की के बाल विवाह को रोका था। हमले के बाद सुबुद्धि गिर गई थी। उसे तत्काल अस्पताल ले गए। कुछ समय कोमा में भी रही। जब कोमा से लौटी तो कहा कि वह समाज सेवा जारी रखेगी। जितने भी नाबालिगों को बाल विवाह से बचा सकती है, बचाएगी। बाल विवाह के खिलाफ उसकी दृढ़ इच्छाशक्ति को देखकर ही राष्ट्रीय महिला आयोग ने केंद्र के साथ ही ओडिशा और उत्तर प्रदेश सरकार को पत्र लिखकर उसे ब्रेवरी अवार्ड, आर्थिक सहायता और सिक्योरिटी देने की सिफारिश की। आज सुबुद्धि कई आई.टी. पेशेवरों के लिए प्रेरणा है। महिलाओं के प्रति चिंता जब मोमबत्ती रैलियों और सोशल नेटवर्किंग तक सीमित थी, तब सुबुद्धि ने आगे बढ़कर मुश्किलों का सामना किया।
—इसी पुस्तक से
सोच ही मनुष्य का विकास करती है। सकारात्मक और बड़ी सोच सफलता और उत्कर्ष का मार्ग प्रशस्त करती है। यह पुस्तक ऐसी बड़ी और विवेकपूर्ण समझ के जीवंत उदाहरणों का संकलन है, जो मानवहित और कल्याण का अनुपम संदेश देती है।
Publication Language |
Hindi |
---|---|
Publication Access Type |
Freemium |
Publication Author |
N. Raghuraman |
Publisher |
Prabhat Prakashana |
Publication Year |
2015 |
Publication Type |
eBooks |
ISBN/ISSN |
9789351863182' |
Publication Category |
Premium Books |
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