Hindi Sahitya Ka Aadhunik Itihas by Tarak Nath Bali
हिंदी साहित्य भारतीय अस्मिता की गरिमा का वाहक है। इस व्यापक ऐतिहासिक आधार पर कोई भी हिंदी साहित्य का इतिहास नहीं लिखा गया।
इस इतिहास के पहले अध्याय में वैदिक-दर्शन से लेकर बौद्ध-दर्शन और जैन-दर्शन के विकास का विवरण दिया गया है। बौद्ध-दर्शन की बाद में महायान, हीनयान आदि शाखाएँ बनीं। इसी विकास में सिद्ध कवियों ने भाषा—बोलचाल की भाषा में कविता की रचना का आरंभ किया। इसी समय में नाथ कवियों ने भी भाषा में ही कविता की रचना की, जिसका विकास कबीर आदि निर्गुणीय कवियों में दिखाई देता है। इसी युग में दो अन्य महत्त्वपूर्ण धाराओं— रामभक्ति और कृष्णाभक्ति शाखा का विकास हुआ और इस प्रकार भारतीय अस्मिता की गरिमा की विविध सरणियों का चित्रण आरंभ हुआ। आधुनिक काल के आरंभ में ही दो महाकाव्यों—हरिऔध कृत ‘प्रिय प्रवास’ और गुप्तजी कृत ‘साकेत’ की रचना हुई और इस प्रकार इन प्राचीन कथाओं को आधुनिकता के संदर्भ से जोड़ा गया।
रामकथा और कृष्णकथा हिंदी साहित्य के प्रमुख स्रोत हैं। स्पष्ट है कि हिंदी साहित्य में हज़ारों वर्ष पुराने दो महत्त्वपूर्ण काव्यों— वाल्मीकि रामायण और महाभारत की कथाओं को आधुनिक संदर्भ में चित्रित किया गया।
Publication Language |
Hindi |
---|---|
Publication Access Type |
Freemium |
Publication Author |
TARAK NATH BALI |
Publisher |
Prabhat Prakashana |
Publication Year |
2017 |
Publication Type |
eBooks |
ISBN/ISSN |
9789351868026' |
Publication Category |
Premium Books |
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