Beejak Ramaini Bhashya by Swami Krishnanand Ji Maharaj

बीजक अर्थात् बीज। परमात्म रूपी धन प्राप्त करने का। हमारे ऋषियों ने तृतीय नेत्र खोलने की विधि को छुपा दिया ताकि कोई सुपात्र ही उसे ग्रहण कर जगत् का कल्याण कर सके; रावण जैसा कुपात्र उसे जानकर जगत् का विध्वंस न कर पाए। पहले लोग बीजक बनाकर खजाने के रहस्य को छुपा देते थे जिससे उनके बाद यदि मूर्ख उत्तराधिकारी आएँ तो उस धन को बर्बाद न कर पाएँ। वही बीजक है यह भी।
रमैनी अर्थात कथा-गाथा जिसे राम ने गाया है। राम ही परब्रह्म परमात्मा हैं। वह एक ही बहुत रूपों में प्रकट हो जाते हैं। जब वह परमपिता परमात्मा माया से संबंधित नहीं होता तो उसे ब्रह्मा कहते हैं। जब माया से संबंधित होता है तो ईश्वर कहा जाता है। जब वही माया से और अविद्या से आबद्ध हो जाता है तो तुम साधारण जीव हो जाते हो। जो दुःखों से, माया से, वासना से बुरी तरह आबद्ध हो जाता है, उसी को जीव कह दिया गया है। तुम यदि अविद्या से मुक्त हो गए तो ईश्वर हो जाओगे। माया से मुक्त हो गए तो ब्रह्मा हो जाओगे। राम हो जाओगे। राम, तुम ही हो।

Publication Language

Hindi

Publication Access Type

Freemium

Publication Author

SWAMI KRISHNANAND JI MAHARAJ

Publisher

Prabhat Prakashana

Publication Year

2016

Publication Type

eBooks

ISBN/ISSN

9789351868491'

Publication Category

Premium Books

Kindly Register and Login to Shri Guru Nanak Dev Digital Library. Only Registered Users can Access the Content of Shri Guru Nanak Dev Digital Library.

SKU: 9789351868491.pdf Categories: , Tags: ,
Reviews (0)

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Beejak Ramaini Bhashya by Swami Krishnanand Ji Maharaj”