Deepshikha Sa Jeevan Hai by Jai Shankar Mishra

प्रस्तुत कविता-संग्रह ‘दीपशिखा सा जीवन है’ श्री जयशंकर मिश्र की काव्य-यात्रा का षष्ठम सोपान है। इसमें कुल 56 नवीन रचनाएँ सम्मिलित की गई हैं। इससे पूर्व की रचनाएँ ‘यह धूप-छाँव, यह आकर्षण’, ‘हो हिमालय नया, अब हो गंगा नई’, ‘चाँद सिरहाने रख’, ‘बाँह खोलो, उड़ो मुक्त आकाश में’ एवं ‘बस यही स्वप्न, बस यही लगन’ हिंदी साहित्य-जगत् में अत्यधिक रुचि, उल्लास एवं गंभीरता के साथ स्वीकार की गई हैं।
श्री मिश्र की कविताओं में भाषा की सहजता, सरलता एवं सुगमता के साथ ही अंतर्निहित पारिवारिक एवं सामाजिक समरसता की महत्ता, युग-मंगल की कामना, जीवन के उद्देश्यों के प्रति सतत चिंतन तथा परिवेश की विविध जटिलताओं के बावजूद मानव जीवन को सौंदर्यमय एवं शिवमय बनाने की बलवती भावना रचनाकार को एक विशिष्ट पहचान देती है। अनेक रचनाओं में प्रकृति के विभिन्न स्वरूपों के प्रति रचनाकार की संवेदनशीलता तथा तादात्म्य स्थापित करने का रुझान भी प्रतिबिंबित होता है।
वर्तमान कविता-संग्रह के प्रति डॉ. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी के निम्न उद्गार महत्त्वपूर्ण हैं—
‘‘मैंने श्री जयशंकर मिश्र की कविताएँ पढ़ीं। ये एक संवेदनशील चित्त की भावाभिव्यक्तियाँ हैं, जो सागर के, प्रकृति के, परिवेश और परिवार के संबंध में हैं। कविता अपने बुनियादी रूप में कवि की भावाभिव्यक्ति ही होती है। मिश्रजी ने अपनी रागात्मक संवेदनाओं को छंदोबद्ध रूप में प्रस्तुत किया है, जिनमें उनकी स्मृति और प्रीति, वेदना और उल्लास तथा आशा और मंगलकामना व्यक्त हुई है। आशा है, पाठक इनका स्वागत करेंगे।’’

Publication Language

Hindi

Publication Access Type

Freemium

Publication Author

Jai Shankar Mishra

Publisher

Prabhat Prakashana

Publication Year

2016

Publication Type

eBooks

ISBN/ISSN

9789351868514'

Publication Category

Premium Books

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