Rahasyopadesh Ka Rahasya by Satish Dhar

कश्मीर की आदिकवयित्री शैवयोगिनी माता लल्लेश्वरी को परमगुरु मानकर उन्हें ओंकार की भाँति हृदय में स्थापित करनेवाली, अपने गुरु और पिता पंडित माधव जू धर को शिवस्वरूप माननेवाली माताश्री रूपभवानी वे शक्तिरूपा हैं, जिन्होंने कश्मीर की उस आध्यात्मिक परंपरा को परिपुष्ट किया, जो भारत की सभ्यता का अविच्छिन्न अंग है। यह पुस्तक इसी दार्शनिक स्वरूप और उसकी दिशा को रेखांकित करती है।
माता रूपभवानी ने शस्त्र और शास्त्र की सार्थकता पर जो चिंतन किया है, उसे उनके ‘वाखों’ में अभिव्यक्ति मिली है। ये दोनों ही अंदर के खालीपन को भरने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं, लेकिन उस परब्रह्म की सत्ता का बोध हो तो फिर न शस्त्र की आवश्यकता रहती है, न शास्त्र की।
कश्मीर की समृद्ध संत-परंपरा के गौरवमयी इतिहास का स्वर्णिम अध्याय है माता श्रीरूपभवानी का अवतरण। इस महान् तपस्विनी ने विभिन्न स्थलों पर 50 वर्ष तक तपस्या के पश्चात् अपने भक्तों को निर्वाण का रहस्य अपने उपदेशों के माध्यम से समझाया। ये उपदेश साधना की राह में आगे बढ़ने के लिए आज भी साधक को निरंतर प्रेरित करते हैं।
आशा है, माता श्रीरूपभवानी के उपदेशों को समझने और उनका अनुसरण करने की दिशा में यह पुस्तक सहायक सिद्ध होगी।
—डॉ. दिलीप कौल

Publication Language

Hindi

Publication Access Type

Freemium

Publication Author

SATISH DHAR

Publisher

Prabhat Prakashana

Publication Year

2018

Publication Type

eBooks

ISBN/ISSN

9789352668373'

Publication Category

Premium Books

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