Bharat Aur Europeeya Sangh : Ek Antrang Drishtikon by Bhaswati Mukherjee

एक प्रचलित मान्यता के मुताबिक भारत-यूरोपीय संघ के संबंध को ब्रिटिश प्रिज्म के जरिए बेहतर ढंग से देखा जा सकता है। यह मान्यता भारत में सिकंदर के आगमन और रोमन साम्राज्य के भारत के साथ व्यापार जैसे ऐतिहासिक प्रमाण को नजरअंदाज करती है। हाल के समय में सांस्कृतिक शख्सियत सत्यजित रे कहीं और के बजाय पेरिस में ज्यादा मशहूर हैं। यूरोपीय संघ के साथ भारत का व्यापार, विशेष रूप से रक्षा संबंधी सामानों के मामले में चैनल के इर्द-गिर्द के देशों में ही नहीं, एक हद तक पूरे महादेश में फैला हुआ है।
ब्रेक्सिट अब उस ब्रिटिश प्रिज्म को हटा लेनेवाला है। एक ताजा और कई मायनों में भारत-यूरोपीय संघ का एक नया संबंध उभरकर आने वाला है। भास्वती मुखर्जी की पुस्तक ‘भारत और यूरोपीय संघ : एक अंतरंग दृष्टिकोण’ बहुत ही सामयिक है। यह अतीत की रूपरेखा को पेश करती है, तमाम जटिलताओं के बीच संबंधों की वर्तमान स्थिति की व्याख्या करती है और भविष्यवाणी भी करती है। यह बहुत ही सफल माने जाने वाले पेशेवर द्वारा एक वस्तुपरक आकलन है, जो अतीत के संबंधों की समस्याओं पर नजर डालते हुए भारत-यूरोपीय संघ के अधिक सुदृढ़ भविष्य के मद्देनजर व्यावहारिक कदम भी है।
एक बेहतर धाराप्रवाहिका के साथ लिखा गया ‘भारत और यूरोपीय संघ : एक अंतरंग दृष्टिकोण’ के शब्दचित्र आकर्षित करते हैं, जो इसे अनूठा और निश्चित रूप से पढ़े जानेवाला बनाते हैं।

Publication Language

Hindi

Publication Access Type

Freemium

Publication Author

BHASWATI MUKHERJEE

Publisher

Prabhat Prakashana

Publication Year

2019

Publication Type

eBooks

ISBN/ISSN

9789353226282'

Publication Category

Premium Books

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