Ras Aakhetak by Kuber Nath Rai
कुबेरनाथ राय के निबंधों में उनके सांस्कृतिक ज्ञान की प्रतिच्छवि भरपूर रहती है और बड़ा विस्मय होता है कि अंग्रेजी के अध्यापक को भारतीय संस्कृति के विभिन्न आयामों का और प्राचीन भारतीय साहित्य का इतना गहरा मर्म क्या केवल निजी साधना के बल पर मिला।
—विद्यानिवास मिश्र
हिंदी की ललित निबंध परंपरा के निष्ठ प्रतिनिधि थे कुबेरनाथ राय। उन्होंने आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के फक्कड़ अंदाज और खुलेपन के बदले अपनी निजी शास्त्री किस्म की रसज्ञता की राह चुनी थी। उन्होंने जो भी लिखा, वह गहरी आस्था और निष्ठा से लिखा। सांस्कृतिक समयबोध उनमें प्रभूत ज्ञान और अंततः प्रज्ञा से जुड़ा पुष्ट हुआ।
—प्रभाकर श्रोत्रिय
कुबेरनाथ राय निबंध साहित्य, विशेषकर ललित निबंध के कीर्तिमान हैं। उन्होंने इस विधा की आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी की परंपरा को अपनी गौरवशाली सृजन-शृंखला से प्रतिष्ठित किया है। इनके निबंधों में गंभीर पांडित्य, चिंतन, अन्वेषण और विश्लेषण के साथ भावावेश की अजस्र ऊर्जा लक्षित होती है। इनकी ऊँचाइयों को छानते हुए भी वे गाँव की जमीन से निरंतर जुड़े होते हैं, यह उनकी अन्यतम विशेषता है। ग्राम-संस्कृति के माध्यम से बृहत्तर भारतीय संस्कृति की खोज वाली विचार प्रवण दृष्टि कुबेरनाथ राय में है, वह अन्यत्र दुर्लभ है। खेत-खलिहान की आत्मीयता, ग्राम-संस्कृति के सूक्ष्म रस-गंधों की पहचान, वर्तमान विकृति के भीतर से आदिम सांस्कृतिक स्रोतों का अन्वेषण और सबको वैदिक जीवन से जोड़ते हुए अप्रतिहत जीवन के प्रवाह रूप में उपस्थित करना लेखक की अद्भुत प्रतिभा का प्रमाण है।
—विवेकी राय
Publication Language |
Hindi |
---|---|
Publication Access Type |
Freemium |
Publication Author |
KUBER NATH RAI |
Publisher |
Prabhat Prakashana |
Publication Year |
2016 |
Publication Type |
eBooks |
ISBN/ISSN |
9789384343361' |
Publication Category |
Premium Books |
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