Krishna Kahen Geetasaar by Deokinandan Gautam

महायुद्ध के शंखनाद और जुझारू वाद्यों के तुमुलघोष के उभयपक्षीय युद्धाकांक्षी स्वजनों को निहारते अर्जुन के मनोजगत् एवं प्रश्नों के समाधान हेतु भगवान् श्रीकृष्ण द्वारा जीवन-ग्रंथ गीता का विकास हुआ। शांतिकाल के सामान्य नागरिक की मनोभूमि के सवालों के लिए गीता को अध्येता के विकास के अनुरूप पुनर्कथन के रूप में समेकित करते हुए बताने की आवश्यकता पूरी करने के लिए ‘कृष्ण कहें गीतासार’ पाठकों के लिए प्रस्तुत की जा रही है। इसमें मूल गीता के क्रम को नए पाठक के हिसाब से पुनर्व्यवस्थित किया गया है। प्रयास यह किया गया है कि वह अपनी वर्तमान स्थिति का आकलन कर सके और गंतव्य के बारे में सुचिंतित मंतव्य की दृष्टि बनाकर सार्थक जीवन संपादन कर सके। अध्याय भी उसी तरह गढे़ गए हैं। सामग्री को अध्याय की भावना के अनुरूप सजाया गया है। सर्वकल्याणी ‘गीता’ को सामान्य पाठकों के लिए सरल-सुबोध भाषा में प्रस्तुत करने का महती प्रयास है यह पुस्तक।

Publication Language

Hindi

Publication Access Type

Freemium

Publication Author

DEOKINANDAN GAUTAM

Publisher

Prabhat Prakashana

Publication Year

2017

Publication Type

eBooks

ISBN/ISSN

9789384343637'

Publication Category

Premium Books

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