Mahan Rashtravadi Dadabhai Nauroji by Prakhar Kundan
‘द ग्रैंडमैन ऑफ इंडिया’ के नाम से विख्यात दादाभाई नौरोजी ऐसे व्यक्तित्व के धनी थे कि जो भी उनके संपर्क में आता, वह उनसे प्रभावित हुए बिना न रहता था। यह कहना अप्रासंगिक न होगा कि वे एक साधारण परिवार में जनमे असाधारण व्यक्ति थे।
दादाभाई ने न केवल एक शिक्षाविद् के रूप में, बल्कि एक समाजसुधारक के रूप में भी कार्य किया। उन्होंने भारतीयों के हितों और अधिकारों की आवाज ब्रिटेन की संसद् में भी उठाई। यही नहीं, बल्कि वे ऐसे प्रथम भारतीय भी बने, जिन्हें ब्रिटेन की संसद् का सदस्य चुना गया। यह दादाभाई के व्यक्तित्व का ही प्रभाव था कि भारतीय ही नहीं, बल्कि अंग्रेज भी उनका बहुत सम्मान किया करते थे।
दादाभाई नौरोजी ही वे पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने ‘स्वराज्य’ का नारा देकर स्वशासन की माँग की थी। दादाभाई ही वे पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने अपनी विलक्षण योग्यता से भारत में प्रति व्यक्ति आय का आकलन किया और संपन्न भारत के गरीब भारतीयों की दयनीय दशा स्पष्ट करते हुए अंग्रेज शासकों द्वारा किए जा रहे शोषण की पोल खोली।
भारत माँ के अमर सपूत दादाभाई नौरोजी के प्रेरक जीवन पर प्रकाश डालती पठनीय जीवनगाथा।
Publication Language |
Hindi |
---|---|
Publication Access Type |
Freemium |
Publication Author |
PRAKHAR KUNDAN |
Publisher |
Prabhat Prakashana |
Publication Year |
2017 |
Publication Type |
eBooks |
ISBN/ISSN |
9789384344610' |
Publication Category |
Premium Books |
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