Chandrakanta (Hindi) by Devaki Nandan Khatri

क्रूरसिंह ने कहा, “महाराज, हमारे बाप तो आप हैं। उन्होंने तो पैदा किया, परवरिश आपकी बदौलत होती है। जब आपकी इज्जत में बट्टा लगा तो मेरी जिंदगी किस काम की है और मैं किस लायक गिना जाऊँगा?”
जयसिंह (गुस्से में आकर)— “क्रूरसिंह! ऐसा कौन है, जो हमारी इज्जत बिगाड़े?”
क्रूरसिंह—“एक अदना आदमी।”
जयसिंह (दाँत पीसकर)—“जल्दी बताओ, वह कौन है, जिसके सिर पर मौत सवार हुई है?”
क्रूरसिंह—“वीरेंद्रसिंह।”
जयसिंह—“उसकी क्या मजाल, जो मेरा मुकाबला करे, इज्जत बिगाड़ना तो दूर की बात है। तुम्हारी बात कुछ समझ में नहीं आती। साफ-साफ जल्द बताओ, क्या बात है? वीरेंद्रसिंह कहाँ है?”
क्रूरसिंह—“आपके चोर महल के बाग में।”
यह सुनते ही महाराज का बदन मारे गुस्से के काँपने लगा। तड़पकर हुक्म दिया, “अभी जाकर बाग को घेर लो! मैं कोट की राह वहाँ जाता हूँ।”
—इसी पुस्तक से

तिलिस्म और ऐयारी के महान् लेखक देवकीनंदन खत्री की रोमांच, कौतूहल एवं चमत्कारों से निःसृत कथा, जो हर आयु वर्ग के पाठकों में लोकप्रिय है। वह कृति जिसे पढ़ने के लिए लाखों लोगों ने हिंदी भाषा सीखी।

Publication Language

Hindi

Publication Access Type

Freemium

Publication Author

Devaki Nandan Khatri

Publisher

Prabhat Prakashana

Publication Year

2018

Publication Type

eBooks

ISBN/ISSN

9789387968080'

Publication Category

Premium Books

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