Media Ka Vartman Paridrishya by Rakesh Praveer

मीडिया को चौथा स्तंभ यों ही नहीं कहा गया। जब न्याय के सारे दरवाजे बंद हो जाते हैं, तब मीडिया ही एक माध्यम बचता है, किसी भी पीड़ित की मुक्ति का, उसके लिए न्याय का राजपथ मुहैया कराने में; लेकिन राकेशजी की मेधा सिक्के के दूसरे पहलू को नजरंदाज नहीं करती। वे हमारे देश में ही नहीं, दुनिया भर में मीडिया के दुरुपयोग और उससे समाज को होनेवाली क्षति से परिचित हैं। फेक न्यूज, पेड न्यूज, दलाली, ब्लैकमेलिंग, पीत-लेखन का जो कचरा मीडिया के धवल आसमान पर काले बादलों की तरह छाया हुआ दिखता है, वह उन्हें बहुत उद्वेलित करता है, क्योंकि उन्होंने पत्रकारिता को बदलाव के एक उपकरण की तरह चुना था, न कि किसी व्यक्तिगत महत्त्वाकांक्षा के तहत।
प्रस्तुत पुस्तक पत्रकारिता की लंबी परंपरा के संदर्भ में आज उसकी चुनौतियों और खतरों पर विस्तार से प्रकाश डालने की कोशिश करती है। इस काम में उनकी पक्षधरता बिल्कुल स्पष्ट है। आज के जीवन में चारों ओर राजनीति है। उससे मुक्त होना संभव नहीं है, लेकिन यह साफ होना चाहिए कि आपकी राजनीति क्या है। मुक्तिबोध इसीलिए पूछते हैं, ‘पार्टनर तुम्हारी पॉलिटिक्स क्या है?’ राकेश प्रवीर की पॉलिटिक्स बिल्कुल साफ है। वे एक पत्रकार या मीडियाकर्मी के रूप में हमेशा पीड़ित के पक्ष में खड़े रहने में यकीन करते हैं।
मीडिया के वर्तमान परिदृश्य को जानने-समझने में सहायक एक महत्त्वपूर्ण पठनीय पुस्तक।
-सुभाष राय प्रधान संपादक, जनसंदेश टाइम्स

Publication Language

Hindi

Publication Access Type

Freemium

Publication Author

RAKESH PRAVEER

Publisher

Prabhat Prakashana

Publication Year

2020

Publication Type

eBooks

ISBN/ISSN

9789387968769'

Publication Category

Premium Books

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