Moolya Aadharit Shiksha by Ramesh Pokhriyal ‘Nishank’

दरणीया चंपा भाटिया की इस पुस्तक की पांडुलिपि से गुजरते हुए मैंने महसूस किया कि यह एक सहज-सरल आध्यात्मिक मन का स्वाभाविक प्रस्फुटन है। न कोई बनावट, न बुनावट। चंपाजी ने आध्यात्मिक-धार्मिक आयोजनों, समागमों में जो सुना, समझा और आत्मसात् किया, उसे जस-की-तस रख दिया है। इस पुस्तक में कहीं भी पांडित्य प्रदर्शन का प्रयास नहीं किया गया है। चंपा भाटिया कोई विदुषी नहीं हैं। वह एक गृहिणी हैं। वे घर-परिवार चलाने के लिए कारोबार भी सँभालती हैं। उसमें से समय निकालकर उन्होंने गीता के श्लोकों के अध्ययन-मनन के उपरांत आम लोगों की समझ में आनेवाली भाषा में तत्त्वज्ञान को निरूपित करने का प्रयास किया है। इस पुस्तक में विभिन्न श्लोकों की व्याख्या करते हुए सतोगुणी, रजोगुणी और तमोगुणी कर्मों की चर्चा तो की गई है, लेकिन निष्काम कर्म (यानी कर्मों के फल का कोई बंधन न होना) को अत्यंत बरीकी से उकेरा गया है। इस पुस्तक में यह पुनर्स्थापित करने का प्रयास किया गया है कि ज्ञाता और ज्ञेय की एकता ही ज्ञान है। ईश्वर को जानने के लिए तीन बुनियादी शर्तें इस पुस्तक में बताई गई हैं—इच्छा (जिज्ञासा), श्रद्धा और समर्पण।
इतना अवश्य है कि इसके अध्ययन से जिज्ञासुओं को ईश्वर को जानने-समझने के लिए एक रोशनी जरूर मिलेगी। दूसरे शब्दों में कहें तो गीता के तत्त्वज्ञान के शोधार्थियों, अर्घ्यताओं के लिए यह पुस्तक पाथेय का काम करेगी, ऐसी आशा है। यह उन्हें संतृप्त भले ही न करे, लेकिन अतृप्त मन को तृप्ति की राह तो बताएगी ही।
—बैजनाथ मिश्र
पत्रकार एवं पूर्व सूचना आयुक्त, झारखंड

Publication Language

Hindi

Publication Access Type

Freemium

Publication Author

Ramesh Pokhriyal ‘Nishank’

Publisher

Prabhat Prakashana

Publication Year

2020

Publication Type

eBooks

ISBN/ISSN

9789390378685'

Publication Category

Premium Books

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