Akash Hamara Hai by Nirupma
कई दशक से व्यापक और चर्चित सवाल ‘आरक्षण’ पर तरहतरह के सवाल, सुझाव, शिकायतें और भोग; कहीं आरक्षण से उपजी कुंठा, कहीं निश्चितता; कभी नौकरशाही द्वारा रिश्वत की माँग से आरक्षण के बावजूद नौकरी का न मिल पाना। ऐसे में अति दलित का बद से बदतर होते जाना एक भयावह समस्या है। शराबी पति से पिटती पत्नियाँ, दो वक्त की रोटी के लिए लुटती अस्मिता, जिसका उन्हें नैतिक ज्ञान भी नहीं। मानसिक रूप से गुलाम, वैचारिक दृष्टि से विकलांग, जीवित लाश सा जीवन का भार ढोते वाल्मीकि समाज में चेतना की कमी रही। इसी चेतना को व्यापक रूप देने का प्रयास है यह उपन्यास।
उपन्यास का नायक भोला दलित वाल्मीकि समाज से है। परिस्थितियों की शिकार उसकी माँ है, परिस्थितियों से समझौता करती बहन है और परिस्थितियों का लाभ उठाकर तरक्की का रास्ता पाते ही जातिसमाज को अलविदा कहनेवाला भाई है। मूलभूत जरूरतों को पूरा करने की जद्दोजहद में कभी भूख और कभी अपमान से तिलतिल मरता उसका समाज है।
भोला के पास संघर्ष है, वित्तविहीन, संसाधनविहीन, समर्थन की क्षीण संभावनाओं के साथ अपने समाज को नई दिशा देने के सपने हैं। इस उपन्यास को पढ़कर एक भी वाल्मीकि जागरूक होता है तो एकएक करके कारवाँ स्वतः बनता चला जाएगा। तब इस उपन्यास का लेखन सार्थक हो जाएगा।
Publication Language |
Hindi |
---|---|
Publication Access Type |
Freemium |
Publication Author |
NIRUPMA |
Publisher |
Prabhat Prakashana |
Publication Year |
2016 |
Publication Type |
eBooks |
ISBN/ISSN |
9788177212549' |
Publication Category |
Premium Books |
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