Avinash Zinda Hai by Aanad Sharma
गीता कुछ गंभीर हो गई थी, ‘‘अविनाश! मुझे तुमसे कुछ बातें करनी हैं। तुम्हारे बारे में मन में घुमड़ते कुछ प्रश्नों के उत्तर लेने हैं। चलो, कहीं बैठकर बातें करते हैं।’’
‘‘तो ठीक है। तुम्हारे कॉलेज की कैंटीन में ही बैठकर बातें करते हैं।’’
‘‘अरे! दिमाग खराब हो गया तुम्हारा। वह गर्ल्स कैंटीन है। कोई लड़का वहाँ नहीं जा सकता।’’
वह अपने खिलंदड़ी अंदाज में हँसा, ‘‘चलो, चलकर देखते हैं। हमें कौन रोकता है।’’
गीता बौखला गई, ‘‘अविनाश! तुम वाकई पागल हो। यह भी नहीं सोचा कि लड़कियों से भरी कैंटीन में मुझे तुमसे बातें करते देख पूरे कॉलेज में मेरी बदनामी हो जाएगी।’’
अविनाश खिलखिलाकर हँस पड़ा, ‘‘अरे! कृष्ण की पवित्र गीता हजारों सालों में बदनाम नहीं हुई, तो कैंटीन में अविनाश कृष्ण के साथ चाय पीने से कैसे बदनाम हो जाएगी?’’
‘‘अविनाश! तुम वाकई पागल हो। मैं तुम्हारे साथ कॉलेज कैंटीन में जाने का रिस्क नहीं ले सकती। हाँ, किसी और रेस्टोरेंट में चलने में मुझे एतराज नहीं है।’’
—इसी पुस्तक से
ईर्ष्या-प्रेम, राग-द्वेष के भँवर में फँसे मानव संबंधों को बारीकी से अध्ययन कर लिखी गई अत्यंत रोचक कहानियों का पठनीय संकलन।
Publication Language |
Hindi |
---|---|
Publication Access Type |
Freemium |
Publication Author |
AANAD SHARMA |
Publisher |
Prabhat Prakashana |
Publication Year |
2020 |
Publication Type |
eBooks |
ISBN/ISSN |
9789387980648' |
Publication Category |
Premium Books |
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