Bauddha Dharma Ki Kahaniyan by Mozej Michael

बौद्ध धर्म की कहानियाँ—मोजेज माइकेल

”ठहरो श्रमण, ठहर जाओ!’ ’
”मैं तो ठहरा हुआ हूँ, आवुसं। तुम्हीं अस्थिर हो। तुम भी ठहर जाओ और रोक दो अपना यह पाप-कर्म।’ ’
अंगुलिमाल विस्मित हो तथागत की ओर देखने लगा। उसकी समझ में कुछ नहीं आ रहा था। अद‍्भुत था यह श्रमण, अद‍्भुत थी उसकी उपस्थिति! वह जैसे जड़ हो गया।
”अच्छा, ऐसा करो, मुझे उस पेड़ से एक पत्ती तोड़कर दो।’ ’
अंगुलिमाल ने तुरंत पत्ती तोड़ दी।
”अब इसे वापस उसी पेड़ पर लगा दो।’ ’
”क्या?’ ’
”हाँ, अब इसे वापस उसी पेड़ पर लगा दो।’ ’
”यह कैसे संभव है, भंते! यह नहीं हो सकता। भला डाल से टूटी पत्ती वापस कैसे लगाई जा सकती है!’ ’
”इसका यह अर्थ हुआ कि तुम जब पत्ती को वापस जोड़ नहीं सकते तो तुम्हें उसे तोडऩा भी नहीं चाहिए था। इसी प्रकार अंगुलिमाल, जब तुम किसी को जीवन दे नहीं सकते तो तुम्हें किसी का जीवन लेने का भी अधिकार नहीं है। सन्मार्ग पर चलो।…’ ’
—इसी पुस्तक से

बौद्ध धर्म बल्कि यह कहें कि मानव-धर्म के विविध आदर्शों—क्षमा, शील, परोपकार, सदाचार, नैतिकता और सदï्गुणों का दिग्दर्शन करानेवाली प्रेरक पुस्तक, जिसे पढ़कर पाठक अपने जीवन को उच्ïच स्तर पर ले जा सकेंगे।

Publication Language

Hindi

Publication Access Type

Freemium

Publication Author

MOZEJ MICHAEL

Publisher

Prabhat Prakashana

Publication Year

2012

Publication Type

eBooks

ISBN/ISSN

9789380186757'

Publication Category

Premium Books

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