Best Of Manik Verma by Manik Verma

बेस्ट ऑफ माणिक वर्मा
यह जो माणिक है न…
शहनाइयों के चीखते स्वरों के बीच किसी इकतारे का दर्द सुना है आपने? आँसुओं की एक गरम बूँद से शीशे चटखते देखे हैं आपने? उम्र और एहसास के पत्थरों को ढोने की बजाय कभी छैनी से तराशा है आपने? या फिर उलझे हुए घुँघरूओं जैसी मासूम हँसी कभी सुनी है आपने? नहीं…तो इन सारे एहसास को एक साथ महसूस करने के लिए आप माणिक वर्मा की व्यंग्य कविताएँ पढ़िए।
—के.पी. सक्सेना

तीसरी आँख के मालिक
माणिक वर्मा की व्यंग्य प्रतिभा रेडियम की काँपती सुई की तरह कड़वी सच्चाइयों की ओर निरंतर संकेत करती है। उन संकेतों का दायरा असीम लगता है। उनकी कविताएँ कवि की वर्तमान इतिहास में निरंतर उपस्थिति की सूचक हैं।
—शरद जोशी

सुधी पाठकों के लिए प्रस्तुत है सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार श्री माणिक वर्मा की चुनिंदा सदाबहार रचनाओं का अनुपम उपहार। हमारा दावा है—इन रचनाओं के शब्द आपको कहीं-न-कहीं जरूर पकड़ लेंगे और फिर आप छूटना भी चाहें तो छूट नहीं पाएँगे।

Publication Language

Hindi

Publication Access Type

Freemium

Publication Author

MANIK VERMA

Publisher

Prabhat Prakashana

Publication Year

2015

Publication Type

eBooks

ISBN/ISSN

9788173156892'

Publication Category

Premium Books

Kindly Register and Login to Shri Guru Nanak Dev Digital Library. Only Registered Users can Access the Content of Shri Guru Nanak Dev Digital Library.

SKU: 9788173156892.pdf Categories: , Tags: ,
Reviews (0)

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Best Of Manik Verma by Manik Verma”