Bharat Ki Rashtriya Ekta by Lakshmimalla Singhvi

वि
‘भारत की राष्ट्रीय एकता’
मनुष्यता की जय-यात्रा के लिए; न्याय, स्वातंत्र्य और बंधुता के लिए मनुष्यता के सकरुण संवेदन को आत्मसात् करते हुए राष्ट्रीय एकता की आराधना करना हमारा परम कर्तव्य है। वह कर्तव्य आज हमारा राष्ट्रीय वेदवाक्य हो, अणुव्रत हो, धर्म का शासन माना जाए। न्याय के पथ से प्रविचलित हुए बिना मनुष्यता और राष्ट्रीयता के प्रति हम निष्ठा से विचार करें और तदनुरूप सच्चाई के साथ आचरण करें।

यह अद्भुत है देश जहाँ संदेश एक,
भाषा अनेक हैं,
हर भाषा में यहाँ पुरातन-अधुनातन
का होता संगम;
यह सतरंगी इंद्रधनुष का देश,
भारत की राष्ट्रीय एकता
यहाँ रंगों का उत्सव,
गूँज रहा उत्सव में जीवन के
सारे तारों पर सरगम,
वेदों-उपनिषदों का सरगम,
तीर्थंकर अरिहंत बुद्ध का,
यह आँगन नानक, फरीद, तुलसी,
कबीर का अनुपम उद्गम!
—इसी पुस्तक से

डॉ. लक्ष्मीमल्ल सिंघवी बहुमुखी तथा बहुविध व्यक्तित्व के धनी थे। एक प्रतिष्ठित विधिवेत्ता एवं संविधानविद् होने के साथ-साथ वे एक कुशल राजनयिक, समर्पित संस्कृतिधर्मी, सहृदय मानवताप्रेमी तथा सफल लेखक-रचनाकार थे। उनका चिंतन, विचार और रचनाकर्म राष्ट्रनिष्ठ था। राष्ट्रवाद के गहरे रस में पगे उनके गद्य और पद्य के कुछ बिंब प्रस्तुत करती है भारत की राष्ट्रीय एकता।

Publication Language

Hindi

Publication Access Type

Freemium

Publication Author

LAKSHMIMALLA SINGHVI

Publisher

Prabhat Prakashana

Publication Year

2011

Publication Type

eBooks

ISBN/ISSN

9788173156359'

Publication Category

Premium Books

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