Bharat Mein Paryatan by Rajesh Kumar Vyas
हमारे देश में जितनी विविधता है, उतनी विश्व के किसी भी अन्य देश में नहीं है। हिमाच्छादित पहाड़ियाँ, हिमखंड, गरम जल के फव्वारे, गुफाएँ, सम्मोहित करनेवाली झीलें, दूर तक पसरा रेगिस्तान, समुद्र तट, खान-पान, रहन-सहन, त्योहारों के आकर्षण आदि के बारे में जितना कहा जाए उतना ही कम है। यही वह देश है जहाँ सभी रुचियों के पर्यटकों के लिए वैविध्यपूर्ण छटा के पर्यटन स्थल हैं। यही नहीं, पर्यटन के लिहाज से भारत को एकमात्र ऐसा देश भी कहा जा सकता है जिसमें पर्यटक दूसरे देशों के मुकाबले सिर्फ एक तिहाई या इससे भी कम खर्च पर घूमने-फिरने का आनंद उठा सकते हैं।
तेजी से फैल रहे एशियाई बाजारों को देखते हुए भारत के लिए पर्यटन के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण भागीदारी निभाने का यही सही समय है। इस दायित्व की पूर्ति के लिए आवश्यक है पर्यटन शिक्षा। पर्यटन शिक्षा की भी उपादेयता यही है कि इसके जरिए राष्ट्रें में बेहतर पर्यटन वातावरण निर्मित किया जा सके। ऐसा यदि होता है तो पर्यटन के जरिए आतंकवाद, हिंसा, आंदोलन, जातिवाद जैसी समस्याओं से स्वत: ही निजात पाई जा सकती है। पर्यटन परस्पर सौहार्द और जीवन स्तर को उत्कर्ष पर ले जाने का बेहतरीन माध्यम बन सकता है
ÖæÚUÌ ×ð´ ÂØüÅUÙ में पर्यटन के सैद्धांतिक पक्ष को व्यावहारिक अनुभवों के साथ प्रस्तुत किया गया है। विश्वास है विश्वविद्यालय पाठ्यक्रमें, पर्यटन संगठनों, नीति निर्माताओं, शोधकर्ताओं को ध्यान में रखकर लिखी गई यह पुस्तक पर्यटन प्राध्यापकों, पर्यटन उद्योग में नियोजित व्यक्तियों, पर्यटकों तथा विद्यार्थियों के लिए समान रूप से लाभकारी सिद्ध होगी।
Publication Language |
Hindi |
---|---|
Publication Access Type |
Freemium |
Publication Author |
RAJESH KUMAR VYAS |
Publisher |
Prabhat Prakashana |
Publication Year |
2008 |
Publication Type |
eBooks |
ISBN/ISSN |
8188140953' |
Publication Category |
Premium Books |
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