Corporate Yogi by Dr. Arvind Lal
एक गोली ने एक की जिंदगी छीनी और तीन को तबाह कर दिया। उनमें से एक जिंदगी मेरी भी थी। ‘मेरे भाई ने मेरे पिता को गोली मार दी। मेरी माँ ने गोली की आवाज सुनी।’ करीब 1,400 किलोमीटर दूर, पुणे के आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल कॉलेज में, जहाँ मैं हॉस्टल में असिस्टेंट वार्डन की नौकरी करते हुए पैथोलॉजी में पोस्टग्रैजुएट कोर्स कर रहा था, टेलीफोन की घंटी बज उठी। ये 4 दिसंबर, 1977 की रात थी, जिसने मुझे हमेशा-हमेशा के लिए बदल दिया।
—इसी पुस्तक से
यह किताब एक आध्यात्मिक साधक और आकस्मिक उद्यमी के रूप में डॉ. अरविंद लाल के सफर को दिखाती है। हिमालय की गोद में बसे हैड़ाखान नाम के एक सुदूर गाँव के संत ने अरविंद के जीवन को कैसे बदल दिया? कैसे डॉ. लाल पैथलैब्स भारत के घर-घर में मशहूर ब्रांड बन गया? अध्यात्म ने किस प्रकार एक उद्यमी के रूप में उनके विचारों को आकार दिया? क्या कर्म और आध्यात्मिकता एक-दूसरे में ढलकर कर्मयोग का रूप ले सकते हैं, जैसा कि प्राचीन धर्मग्रंथों में बताया गया है?
डॉ. लाल के जीवन के इर्द-गिर्द बुनी गई यह किताब उनके उद्यम, कर्मशीलता और दूरदर्शिता के साथ-साथ कर्म, जीवन और आध्यात्मिकता के अनेक प्रश्नों के उत्तर देती है।
इस पुस्तक में डॉ. लाल ने न केवल अपनी आध्यात्मिक साधना का वर्णन किया है, बल्कि कर्मयोग और जपयोग सहित, अपने गुरु हैड़ाखान बाबा की शिक्षा से भी परिचित कराया है, जो अध्यात्म की खोज करनेवालों के लिए काफी दिलचस्प होगी।
—डॉ. कर्ण सिंह
चेयरमैन, ऑरोविल फाउंडेशन
डॉ. लाल की तरह मैं भी चिकित्सा जगत से हूँ और हमारी पृष्ठभूमि के लोगों के लिए जीवित भगवान में विश्वास करना आसान नहीं होता। अपने गुरु के मार्गदर्शन में, आध्यात्मिक साधक के रूप में डॉ. लाल का विकास उल्लेखनीय है। इस देश को उन्होंने विश्वस्तरीय लैबोरेटरी डायग्नोस्टिक की जैसी सेवा उपलब्ध कराई,
वह असाधारण और प्रशंसनीय है।
—डॉ. प्रणव पंड्या, एम.डी.
प्रमुख, ऑल वर्ल्ड गायत्री परिवार
Publication Language |
Hindi |
---|---|
Publication Access Type |
Freemium |
Publication Author |
DR. ARVIND LAL |
Publisher |
Prabhat Prakashana |
Publication Year |
2020 |
Publication Type |
eBooks |
ISBN/ISSN |
9789353225094' |
Publication Category |
Premium Books |
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