Dhandhe Matram by Piyush Pandey

व्यंग्य अंततः सहारा देता है, हारे हुए आदमी को। ताव देनेवाले आदमी पर ताव खा जाता है। व्यंग्य देखता है कि धंधा क्या चल रहा है। इस लिहाज से ‘धंधे मातरम्’ एक पठनीय व्यंग्य-संग्रह है, जो सजी-धजी भाषा में नहीं है, बल्कि भाषा को नई सज-धज प्रदान करता है। पीयूष की अपनी शैली है, जिसमें वो व्यंग्य करते हैं। वर्तमान राजनीतिक माहौल में ‘अ’ से असहिष्णुता, ‘आ’ से आतंकवाद का नया ककहरा रचते हैं। यानी व्यंग्य को लेकर उनकी अलग दृष्टि है, जो पाठकों को आनंद देगी और सोचने के लिए विवश भी करेगी।
—अशोक चक्रधर
व्यंग्यकार एवं कवि

पीयूष पांडे को मैं कुछ साल से व्यक्तिगत तौर पर जानता हूँ। एक ब्लॉग लिखने के सिलसिले में पीयूष पांडे से मेरी मुलाकात आरंभ हुई थी और तब मुझे यह अहसास हुआ कि इनके भीतर एक व्यंग्यकार छिपा हुआ है, जो समय-समय पर बाहर आता रहता है। आजकल जब मैं इनके ट्वीट और फेसबुक पोस्ट पढ़ता हूँ तो मेरा अहसास और पुख्ता हो जाता है। पीयूष गंभीर-से-गंभीर विषय को बड़े व्यंग्यात्मक तरीके से पेश करते हैं और विषय से जुड़ी विसंगतियों और आक्रोश को बड़ी सहजता और व्यंग्यात्मक अंदाज में सामने लाते हैं। ‘धंधे मातरम्’ के लिए पीयूष को मेरी शुभकामनाएँ।
—मनोज बाजपेयी
अभिनेता

Publication Language

Hindi

Publication Access Type

Freemium

Publication Author

PIYUSH PANDEY

Publisher

Prabhat Prakashana

Publication Year

2017

Publication Type

eBooks

ISBN/ISSN

9789386300577'

Publication Category

Premium Books

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