Ek Sainik Ka Atmachintan by A.K. Vidyarthi
आत्मचिंतन शब्द आत्मा से जुड़ा हुआ है, चिंतन वही करता है, जिसकी चेतना और संवेदना जीवित है या जिसकी आत्मा के सरोकार समाज से जुड़े हैं। एक विद्यार्थी, जो स्वयं एक भूतपूर्व सैनिक है, उसने बेबाक तरीके से अपने अनुभव साझा किए हैं। इस युग में एक सैनिक ही है, जो अपने प्राण देना जानता है और जो प्राण देना जानता है, उसी में सच्ची आत्मा निवास करती है। अतः पुस्तक में भोगे हुए यथार्थ का आत्मचिंतन है, यहाँ कपोल कल्पना नहीं, ठोस धरातल पर जमीनी हकीकत का वर्णन है।
पुस्तक में मानवीय मूल्यों के ताजा गुलाब की सी खुशबू आती है। यदि आप चेतना-संपन्न हैं तो निश्चित ही यह किताब आपको अपनी ओर खींचेगी, आपकी सोच को पैनी धार देगी ही, अपने कर्तव्यबोध का आभास कराते हुए ईमानदार नागरिक की जिम्मेदार भूमिका के लिए तैयार करेगी।
एक फौजी का जीवन-संघर्ष ठीक उस किसान की तरह है, जो पसीना बहाकर, धरती का सीना चीरकर बीज बोता है और आसमान को देखकर बरसात की प्रतीक्षा करता है। ऐसे ही फौजी भाई अपने रक्त की बूँदों से सरहदों को सींचते हैं, ताकि देश की फुलवारी भरी-भरी रहे।
हर युवा, चेतना-संपन्न नागरिक तथा जिज्ञासु विद्यार्थी को ए.के. विद्यार्थीजी की यह अनमोल कृति एक बार अवश्य पढ़नी चाहिए।
Publication Language |
Hindi |
---|---|
Publication Access Type |
Freemium |
Publication Author |
A.K. VIDYARTHI |
Publisher |
Prabhat Prakashana |
Publication Year |
2019 |
Publication Type |
eBooks |
ISBN/ISSN |
9789353224639' |
Publication Category |
Premium Books |
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