Filmen Aur Sanskrti by Dheeraj Sharma

बीते कुछ दशकों के दौरान, भारत की छवि को बिगाड़ने में कुछ हद तक बॉलीवुड की फिल्मों का हाथ है जिनमें मंदिरों और पुजारियों की खिल्ली उड़ाई जाती है, दिखाया जाता है कि बड़े-बड़े संस्थानों के शिक्षकों को पढ़ाना नहीं आता, शिक्षकों को मूर्ख, राजनेताओं को दुष्ट, पुलिस को निर्दयी, अफसरों को संकीर्ण सोचवाला, जजों को अन्यायी, और हिंदी भाषा बोलनेवालों को हीन दृष्टि से देखा जाता है। क्या आपको आश्चर्य नहीं होता कि बॉलीवुड के फिल्मी गाने और डायलॉग उर्दू में ही क्यों लिखे जाते हैं जबकि बहुत कम ही लोग उर्दू को समझ पाते हैं? क्या आपको इस पर भी आश्चर्य नहीं होता कि हाल की बॉलीवुड की फिल्मों का हीरो कभी मंदिर क्यों नहीं जाता? आखिर क्यों बॉलीवुड की अधिकांश फिल्मों के हीरो अगर हिंदू हैं तो आम तौर पर धर्म का पालन नहीं करते जबकि सारे मुसलमानों को धर्मनिष्ठ दिखाया जाता है? आखिर क्यों कोर्ट-रूम वाली फिल्मों में भी अब भगवद्गीता पर हाथ रख कर किसी व्यक्ति के द्वारा कसम खाने वाले सीन गायब हो गए हैं? क्यों बॉलीवुड की फिल्मों की पृष्ठभूमि में भारतीय ध्वज भी नहीं दिखता? ये महत्त्वपूर्ण प्रश्न हैं जिनकी तह तक जाने की आवश्यकता है। इस पुस्तक का प्रयास है कि इनमें से कुछ प्रश्नों के उत्तर दिए जाएँ। समाज की सोच बनाने में फिल्मों की एक बड़ी भूमिका होती है और इस कारण परदे पर जो कुछ भी दिखाया जाता है, उसे लेकर बॉलीवुड को कहीं-न-कहीं अपनी जिम्मेदारी निभाने की जरूरत है।

Publication Language

Hindi

Publication Access Type

Freemium

Publication Author

Dheeraj Sharma

Publisher

Prabhat Prakashana

Publication Year

2021

Publication Type

eBooks

ISBN/ISSN

9789390366705'

Publication Category

Premium Books

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