Fir Bhi Zindagi Khoobsurat Hai by N. Raghuraman
जीवन कभी हमारी सोच के हिसाब से नहीं चलता और इसमें समुद्र की तरह उतारचढ़ाव होते रहते हैं। यह तूफान का सामना करने और हमारे द्वारा अपनाए जानेवाले जीवनकौशल का नाम है। तीन महान् विभूतियों ने जीवन के बारे में समान बात कही है। नॉर्मन विन्सेंट पीएल ने कहा है, ‘खाली जेब से किसी का काम नहीं चलता। केवल खाली सिर और खाली हृदय ही यह काम कर सकते हैं।’ और बाद में जिग जिगलर ने सार्थक जीवन के बारे में कहा, ‘आपकी प्रतिष्ठा आपके दृष्टिकोण से तय होती है, न कि आपकी अभिरुचि से।’ और अंत में कार्ल जन ने कहा,‘मैं वो नहीं हूँ, जो मेरे साथ हुआ है। मैं वही हूँ, जो मैंने बनना चाहा था।’
जीवन में आप समस्याओं से निपटने में तभी अधिक सक्षम होते हैं, जब आपने खुद उनका अनुभव किया हो या उनके बारे में पढ़ा हो। यहाँ ऐसी ही कहानियों का संग्रह प्रस्तुत है, जिसमें बिना यह जाने कि वे विभूतियाँ कौन हैं और किसने क्या कहा था, फिर भी सैकड़ों लोगों ने जीवन को उनकी सोच के हिसाब से जीना पसंद किया और भाग्य में क्या लिखा है, इसकी परवाह नहीं की।
इस पुस्तक के अंत में आपको ऐसा अहसास होगा कि मेरी समस्याएँ कुछ भी नहीं हैं और मैं उनसे आसानी से निपट सकता हूँ। अगर आपको भी यही अहसास होता है तो इस पुस्तक का उद्देश्य पूरा हो जाता है।
Publication Language |
Hindi |
---|---|
Publication Access Type |
Freemium |
Publication Author |
N. Raghuraman |
Publisher |
Prabhat Prakashana |
Publication Year |
2015 |
Publication Type |
eBooks |
ISBN/ISSN |
9789351863175' |
Publication Category |
Premium Books |
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