Grameen Swavlamban by Deepak Banka

औद्योगीकरण की गलत नीतियों से परंपरागत खेती एवं पशुपालन की बलि चढ़ गई है। इसके परिणामस्वरूप अत्यंत कम खर्च में आत्मनिर्भर होने का भारत का सपना भी ध्वस्त हो गया। औद्योगीकरण का प्रभाव खेती पर भी पड़ा। रसायनों, उर्वरकों और कीटनाशकों के साथ सिंचाई के आधुनिक तरीकों ने कृषि का खर्च बढ़ाया, जमीन की उर्वरा-शक्‍ति नष्‍ट की, भूजल के स्तर का सत्यानाश किया। जो खेती हमारा पेट भरने, तन ढकने, हमारी बीमारी का उपचार करने और हमारे सिर ढकने का आधार होने के साथ पर्यावरण संतुलन को कायम रखनेवाली थी, वही आज पर्यावरण बिगाडऩे वाली बन चुकी है। खेती महँगी होने के कारण छोटे किसानों के लिए अब खेती करना दूभर हो चुका है। इससे गाँवों की अर्थव्यवस्था चरमरा गई, अपने संसाधनों और ज्ञान के आधार वाला आत्मनिर्भर तंत्र खत्म हो गया।
यह पुस्तक देश की समस्याओं का विवेचन कर स्वदेशी की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा देती है। इतना ही नहीं, भारत को बचाने तथा असली भारत बनाने का रास्ता भी सुझाती है।
जो कोई भी अपने आपको, अपने गाँव-समाज और देश को बचाने के लिए काम करना चाहते हैं, कृपया वे इस पुस्तक को अवश्य पढ़ें।

Publication Language

Hindi

Publication Access Type

Freemium

Publication Author

DEEPAK BANKA

Publisher

Prabhat Prakashana

Publication Year

2018

Publication Type

eBooks

ISBN/ISSN

9789381063491'

Publication Category

Premium Books

Kindly Register and Login to Shri Guru Nanak Dev Digital Library. Only Registered Users can Access the Content of Shri Guru Nanak Dev Digital Library.

SKU: 9789381063491.pdf Categories: , Tags: ,
Reviews (0)

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Grameen Swavlamban by Deepak Banka”