Hanumanji Ke Jeevan Ki Kahaniyan by Mukti Nath Singh

हनुमानजी के जीवन की महागाथाओं को वैसे तो शब्दों में पिरोना लगभग असंभव ही है, क्योंकि उनकी वीरता की गाथाएँ पृथ्वी से लेकर आकाश और पाताल तक—तीनों लोकों में फैली हैं। उन्होंने ‘सब संभव है’ को अपने जीवन में चरितार्थ किया। भूख लगी तो सूर्य देवता को ही फल समझ उनकी ओर छलाँग लगा दी, तब देवराज इंद्र को अपना वज्र चलाकर उन्हें रोकना पड़ा। रावण की स्वर्ण लंका को उन्होंने जलाकर राख कर दिया और तीनों लोकों को दहलानेवाला रावण भी असहाय बना बैठा रहा। पाताल लोक में जाकर उन्होंने न केवल भगवान् श्रीराम और लक्ष्मण को बचाया, वरन् वहाँ के दुष्ट राजा अहिरावण का वध भी किया। हनुमानजी भगवान् श्रीराम के परम भक्त हैं। उनकी भक्ति की शक्ति से ही वे स्वयं को शक्तिसंपन्न मानते हैं। उन्होंने यह सिद्ध करके दिखाया है कि अनन्य और समर्पित भक्ति से सबकुछ हासिल किया जा सकता है। राम-रावण युद्ध के दौरान वे एक केंद्रीय पात्र रहे और हर अवसर पर भगवान् राम के अटूट सहयोगी के रूप में सामने आए—चाहे वह लक्ष्मणजी को लगी शक्ति का विपरीत काल हो, चाहे नागपाश वाली घटना। हनुमानजी को सीता माता द्वारा अजर-अमर होने का वरदान प्राप्त है—अजर-अमर गुणनिधि सुत होऊ—वे त्रेता से लेकर द्वापर में भगवान् राम के श्रीकृष्ण अवतार में भी उनके सहयोगी बने और महाभारत संग्राम के दौरान अनेक बार उभरे। आज कलियुग में भी वे अपने भक्तों की पुकार सुनकर उनकी मदद को दौडे़ चले आते हैं।
अपूर्व भक्ति, निष्ठा, समर्पण, साहस, पराक्रम और त्याग की कथाओं का ज्ञानपुंज है हनुमानजी का प्रेरक जीवन।

Publication Language

Hindi

Publication Access Type

Freemium

Publication Author

MUKTI NATH SINGH

Publisher

Prabhat Prakashana

Publication Year

2019

Publication Type

eBooks

ISBN/ISSN

9789388984003'

Publication Category

Premium Books

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