Hg Wells Ki Lokpriya Kahaniyan by Hg Wells
अचानक सबकी तन्मयता भंग हुई थी। इस पार्क में मनोरंजन के लिए जिस बैंड की व्यवस्था थी, वह न जाने कब से बिना किसी भूल के अपना प्रदर्शन कर रहा था, लेकिन अभी उनसे भी अचानक पहली बार सुर की चूक हुई थी। इस भूल को सबने पकड़ा था और इस पर लोगों की चर्चा हो रही थी। साथ ही इस घटना ने भी हलचल मचा दी थी कि इस महिला की गोद में शांत चित्त ऊँघता हुआ सा वह छोटा कुत्ता बहुत तेज रफ्तार से अचानक हवा में उड़ता हुआ बहुत दूर जा गिरा था। लोग बौखला गए थे और इसे किसी अपशगुन का संकेत मानकर अंधविश्वासी सिद्ध हो रहे थे। किसी भगदड़ जैसा दृश्य बन गया था। लोगों के अचानक भागने से कुरसियाँ उलटकर गिर गई थीं।
उसकी स्मृति में बचपन का वह दृश्य साफ उभरकर आ गया। उस दरवाजे को देखते ही वह एक अजीब से मनोभाव से भर उठा। वह दरवाजा मानो उसे अपनी ओर खींचने लगा। वह अपनी इच्छा भर उतावला हो उठा कि वह भागकर जाए और उस दरवाजे के पार निकल जाए। उसके विवेक में यह क्या स्पष्ट था, कि इस तरह किसी दरवाजे के पार चले जाना अकलमंदी नहीं है या यह गलत काम है, यह नहीं कहा जा सकता, लेकिन दरवाजे के उस आकर्षण के सामने एक विवेक तो था, जो रुकावट बन रहा था। लेकिन दरवाजा खुला हुआ था और वह इच्छापूर्वक उसके पार जा सकता था।
—इसी संग्रह से
प्रसिद्ध कथाकार एच.जी. वेल्स की रोचक-पठनीय-लोकप्रिय कहानियों का संकलन।
Publication Language |
Hindi |
---|---|
Publication Access Type |
Freemium |
Publication Author |
HG Wells |
Publisher |
Prabhat Prakashana |
Publication Year |
2016 |
Publication Type |
eBooks |
ISBN/ISSN |
9789386001290' |
Publication Category |
Premium Books |
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