Jai Ganga by Radhakant Bharati
भारतीय उपमहाद्वीप की महत्त्वपूर्ण नदी का नाम हैं-गंगा, जो हिमालय से बैंगलादेश तक 2,525 किमी. की यात्रा तय करती हैं। अपने विशाल प्रवाह क्षेत्र में पूरब की दिशा में बहती इसको धारा फरक्का के निकट दक्षिण की दिशा में मुड़कर दो शाखाओं में बँट जाती है। यह नदी भारत में भागीरथी, अलकनंदा, गंगा तथा हुगली नाम से पुकारी जाती हैं।
गंगा को मूलधारा भागीरथी का उद्गम पवित्र गंगोत्री नामक हिमनद से हुआ हैं। भागीरथी अपने उद्गम स्थल से निकलकर 35 किमी. तक पश्चिम की ओर प्रवाहित होती हुई दक्षिण की ओर मुड़ जाती हैं। इसकी मुख्य सहायिका अलकनंदा है, जो देवप्रयाग में इससे मिलती है।
देवप्रयाग से ही अलकनंदा और भागीरथी के सम्मिलित जलप्रवाह का नाम गंगा हो जाता हैं। विशाल हिमालय की श्रृंखला को लक्ष्मण झूला के पास छोड़कर यह हरिद्वार नामक तीर्थ से मैदानी भाग में प्रवेश करती हैं।
भारतीयों के लिए इस पवित्र नदी का न केवल सांस्कृतिक और धार्मिक महत्त्व हैं, अपितु यह जीवन के विविध पक्षों के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।
गंगा के सभी आयामों पर विहंगम प्रकाश डालनेवालो पठनीय पुस्तक।
Publication Language |
Hindi |
---|---|
Publication Access Type |
Freemium |
Publication Author |
RADHAKANT BHARATI |
Publisher |
Prabhat Prakashana |
Publication Year |
2019 |
Publication Type |
eBooks |
ISBN/ISSN |
9789384344979' |
Publication Category |
Premium Books |
Kindly Register and Login to Shri Guru Nanak Dev Digital Library. Only Registered Users can Access the Content of Shri Guru Nanak Dev Digital Library.
You must be logged in to post a review.
Reviews
There are no reviews yet.