Jal Chikitsa by D D Ojha
हमारे शरीर का निर्माण करनेवाले पंच महाभूतों में दूसरा प्रमुख तत्त्व जल है। पृथ्वी का, शरीर का और सृष्टि का तीन-चौथाई भाग भी जल ही है। यह हमारे जीवन का पोषक है, धारक है तथा कारक भी है। जल रोगकारक एवं रोगशामक दोनों ही भूमिका निभाता है। जल से संबंधित स्वास्थ्य समस्याएँ समाज के लिए, विशेषत: ग्रामीण समुदाय के लिए अभिशाप हैं।
जल का दूसरा रूप इसके द्वारा की जानेवाली जल-चिकित्सा का है। जापान में जल-चिकित्सा विशेषज्ञों का तो यहाँ तक कहना है कि इस चिकित्सा को अपनाकर उच्च-रक्तचाप, एनीमिया, मधुमेह, श्वेतप्रदर, अनियमित मासिक-स्राव, सिरदर्द, मोटापा, गठिया, पेचिश और मूत्र संबंधी अनेक रोगों से निजात पाई जा सकती है।
प्रस्तुत पुस्तक में जनसाधारण के लिए जल संबंधी बहुत ही नवीन और महत्त्वपूर्ण तकनीकी जानकारी, यथा शरीर में जल के कार्य एवं स्वास्थ्य रक्षा में जल, मानव शरीर की रचना और जल, जल स्वच्छता और स्वास्थ्य, जल की गुणवत्ता का महत्त्व, जल गुणवत्ता के मानक, जल से होनेवाले विभिन्न रोग, जल-चिकित्सा, गरम व ठंडे जल के लाभ, जल पीने की उचित विधि, जल से स्नान की वैज्ञानिकता, स्वास्थ्य-शिक्षा आदि विषयों के बारे में बहुत ही सरल एवं रोचक भाषा में चित्रों सहित जानकारी दी गई है।
जल द्वारा चिकित्सा का व्यावहारिक ज्ञान देनेवाली अत्यंत लाभप्रद पुस्तक।
Publication Language |
Hindi |
---|---|
Publication Access Type |
Freemium |
Publication Author |
D D OJHA |
Publisher |
Prabhat Prakashana |
Publication Year |
2016 |
Publication Type |
eBooks |
ISBN/ISSN |
9789384344009' |
Publication Category |
Premium Books |
Kindly Register and Login to Shri Guru Nanak Dev Digital Library. Only Registered Users can Access the Content of Shri Guru Nanak Dev Digital Library.
You must be logged in to post a review.
Reviews
There are no reviews yet.