Jeevan Ek Darpan by Ravindra Nath Prasad Singh

कोई भी व्यक्ति जन्म से महान् नहीं होता, बल्कि वह अपने कर्म के बल पर एवं अपने अंदर निहित गुणों को विकसित कर महान् बनता है। हमारा जन्म गरीब परिवार में हो कि अमीर परिवार में, यह हमारे वश में नहीं होता, लेकिन गरीब से अमीर बनना हमारे वश में है।

समस्याएँ आएँगी, परंतु समस्या से परेशान होने की जरूरत नहीं है। हर समस्या का निराकरण संघर्ष से ही संभव है। अतः आप संघर्ष करने को तैयार रहें। बिना संघर्ष किए आप किसी समस्या से निजात नहीं पा सकते। यदि आप आगत समस्याओं के निराकरण हेतु संघर्ष करने को तैयार नहीं हैं तो आपकी समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जाएगी। एक समय ऐसा आएगा कि आप चारों ओर से समस्या के मकड़जाल में घिर जाएँगे।

अपने अंदर के गुणों को पहचानकर व्यक्तित्व में निखार लाना होगा तथा सोच के दायरे को व्यापक बनाना होगा। जब हम अपने अंदर की इच्छाशक्ति, आत्मविश्वास, स्वाभिमान, सकारात्मक सोच, समर्पण, क्षमा, त्याग, अनुशासन जैसे गुणों को विकसित कर उन पर खरा उतरेंगे, तब हम चट्टान की भाँति दृढ़ होकर जीवन के महत्त्व को समझ पाएँगे। ऐसी स्थिति में जिंदगी के रहस्यों को समझना और उन रहस्यों से परदा उठाना हमारे लिए आसान होगा।
—इसी पुस्तक से

यह पुस्तक जिंदगी का शास्त्र है, जीवनशास्त्र—जो हमें स्वस्थ, सुखी, संतुष्ट, संतुलित एवं सफल समाजोपयोगी जीवन जीना सिखाता है।

Publication Language

Hindi

Publication Access Type

Freemium

Publication Author

Ravindra Nath Prasad Singh

Publisher

Prabhat Prakashana

Publication Year

2020

Publication Type

eBooks

ISBN/ISSN

9789390315192'

Publication Category

Premium Books

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