Jeevan Ki Disha by Bhartendu Prakash Sinhal
दैनिक जीवन में अनेक उदाहरणों पर दृष्टि डालने से हमें अपने नैतिक बल का अंकन प्राप्त होगा। विचार, वाणी तथा कर्म में हम जितने अधिक काल अपने विवेक की अनुकूलता में बने रहने के अभ्यस्त होते जाएँगे, हमारी नैतिक शक्ति उसी के अनुरूप अधिक होती जाएगी।
कुछ परिस्थितियाँ स्वयं हमारे जीवन में ऐसे अवसर लाती रहती हैं जिनके आधार पर अपनी नैतिक शक्ति का निरंतर मूल्यांकन किया जा सकता है। जैसे, विद्यार्थीकाल में हमने कल्पना की कि जीवन में बड़े-से-बड़ा प्रलोभन भी हमें सही काम करने से नहीं डिगा सकता। अब देखना होगा कि परीक्षाकाल में हमारी मनःस्थिति क्या रही? यदि किसी प्रकार की बेईमानी करने की इच्छा भी मन में उठती है तो स्पष्ट है कि बड़े-से-बड़ा प्रलोभन तो दूर, अभी तक हम छोटे प्रलोभनों पर भी विजय प्राप्त नहीं कर पाए हैं। ऐसी परिस्थिति में स्वीकार करना होगा कि हमारी नैतिक शक्ति का स्तर अभी नीचा ही है।
—इसी पुस्तक से
इस पुस्तक में जीवन को संस्कारवान बनाने और उसे सही दिशा में ले जाने के जिन सूत्रों की आवश्यकता है, उनका बहुत व्यावहारिक विश्लेषण किया है। लेखक के व्यापक अनुभव से निःसृत इस पुस्तक के विचार मौलिक और आसानी से समझ में आनेवाले हैं।
जीवन को सफल व सार्थक बनाने की प्रैक्टिकल हैंडबुक है यह कृति।
Publication Language |
Hindi |
---|---|
Publication Access Type |
Freemium |
Publication Author |
BHARTENDU PRAKASH SINHAL |
Publisher |
Prabhat Prakashana |
Publication Year |
2012 |
Publication Type |
eBooks |
ISBN/ISSN |
9789380823713' |
Publication Category |
Premium Books |
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