Kabira Baitha Debate Mein by Piyush Pandey

मीडिया, बाजार, राजनीति, खेल, समाज और सोशल मीडिया, जिधर दृष्टि दौड़ाइए, विसंगतियाँ हैं, इसलिए व्यंग्य की भरपूर गुंजाइश है। इन विसंगतियों को देखने की लेखक की अपनी अलग दृष्टि है, जिनसे रोचक व्यंग्य पैदा हुए हैं। इस व्यंग्य-संग्रह की विशिष्टता है इसके विषय और भाषा-शैली। लेखक टिकटॉक के जरिए समाजवाद लाने की परिकल्पना करता है तो समाचार चैनल की प्राइम टाइम बहस में कबीरदासजी को बैठाकर वर्तमान टी.वी. बहस के स्तर का निर्मम पोस्टमार्टम करता है। दरअसल, इस व्यंग्य-संग्रह का हर आलेख विषय के स्तर पर पाठक को चौंकाता है।
व्यंग्य संकलन का हर व्यंग्य पाठक को आरंभ में गुदगुदाता है, कभी-कभार हँसाता है और फिर विसंगति पर कड़ा प्रहार करते हुए पाठक को सोचने के लिए विवश करता है। यह लेखक की अपनी एक विशिष्ट शैली है।
लेखक स्वयं टी.वी. पत्रकार, पटकथा लेखक और फिल्मकार हैं तो भाषा की सहजता-सरलता और संक्षिप्तता व्यंग्य संग्रह की यू.एस.पी. है। लेखक के ‘वन-लाइनर’ पाठकों को अतिरिक्त आनंद देते हैं। हाँ, बतौर व्यंग्यकार लेखक ने स्वयं को भी नहीं बख्शा है। कई जगह खुद को कठघरे में रखते हुए समाज को आईना दिखाने की कोशिश की है।
व्यंग्यकार की यही ईमानदारी शायद पाठकों को भाए भी।

Publication Language

Hindi

Publication Access Type

Freemium

Publication Author

PIYUSH PANDEY

Publisher

Prabhat Prakashana

Publication Year

2020

Publication Type

eBooks

ISBN/ISSN

9789353229467'

Publication Category

Premium Books

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