Kaise Bhoolen Aapatkal Ka Dansh by Dr. Chandra Trikha , Dr. Ashok Garg , Subhash Ahuja
1971 के भारत-पाक युद्ध एवं बांग्लादेश के नाम से नए राष्ट्र के निर्माण ने तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की छवि को एक नया शिखर प्रदान किया था। एक ऐसा शिखर, जहाँ पहुँचकर, संतुलन बनाए रखना आसान नहीं होता। ये वे दिन थे, जब सरकारी तंत्र एवं सत्ता तंत्र भ्रष्टाचार के मामले में निरंकुश हो चुका था। सामान्य जनों का धैर्य जवाब देने लगा था। तत्कालीन प्रधानमंत्री उन दिनों भ्रष्टाचार की संरक्षक समझी जा रही थीं। वह अपने संगठन में फैले भीतरी असंतोष को भी कुचल रही थीं और प्रतिपक्षी आवाजों की भी घोर उपेक्षा कर रही थीं।
इसके विरुद्ध संघर्ष में सर्वोदय समाज व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, कुछ पुराने निष्ठावान एवं गांधीवादी कांग्रेसियों और समाजवादियों की भूमिका विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण रही। अपने समर्पित नेताओं व कार्यकर्ताओं के बल पर संघ ने देश भर में भूमिगत आंदोलन, जन-जागरण एवं अहिंसक सत्याग्रह की जो इबारत दर्ज की, वह ऐतिहासिक थी।
उस समय की सरकार के खिलाफ समाज में गंभीर वैचारिक आक्रोश जाग्रत् करने और बाद में चुनाव की सारी व्यवस्था सँभालने में भी संघ के स्वयंसेवकों ने प्रमुख भूमिका निभाई। इस सारे घटनाक्रम में कई ऐसे गुमनाम कार्यकर्ताओं को अपने जीवन तक गँवाने पड़े। उनके अमूल्य बलिदान को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता। यह शुभ्र ज्योत्स्ना उन सब हुतात्माओं को विनम्र श्रद्धासुमन अर्पित करती है। आपातकाल के काले दिनों का सिलसिलेवार देखा-भोगा जीवंत सच है यह पुस्तक।
Publication Language |
Hindi |
---|---|
Publication Access Type |
Freemium |
Publication Author |
DR. ASHOK GARG ,DR. CHANDRA TRIKHA ,SUBHASH AHUJA |
Publisher |
Prabhat Prakashana |
Publication Year |
2018 |
Publication Type |
eBooks |
ISBN/ISSN |
9789352664610' |
Publication Category |
Premium Books |
Kindly Register and Login to Shri Guru Nanak Dev Digital Library. Only Registered Users can Access the Content of Shri Guru Nanak Dev Digital Library.
You must be logged in to post a review.
Reviews
There are no reviews yet.