Katha Puratani Drishti Adhuniki by Kusum Patoria

कथा पुरातनी, दृष्टि आधुनिकी
प्रस्तुत पुस्तक की कथाओं में लोककथा के तत्त्व सन्निविष्ट हैं। इनमें एक ओर समाज का निरावरण चित्र है तो दूसरी ओर अस्वाभाविकता की सीमा तक अतिरंजना है।
वेद शिष्ट जनों का साहित्य है, तो पुराण लोक-साहित्य। परंपरानुसार दीर्घकालीन सत्रों में पुरोहित पुराणों की कथाएँ सुनाकर यजमान व इतर अभ्यागतों का मनोरंजन किया करते थे।
‘कथा पुरातनी : दृष्टि आधुनिकी’ इन्हीं पुराणों की कुछ चुनी हुई कथाओं की आधुनिक संदर्भ में व्याख्या है। प्रश्न हो सकता है कि क्या ये कथाएँ आज के पाठक का मनोरंजन करने में समर्थ हैं? तो भले ही इनके प्रतीकात्मक अर्थ कुछ भी हों, पर इन कथाओं की प्रासंगिकता आधुनिक संदर्भ में और भी आवश्यक है।
यद्यपि इस संग्रह की अधिकांश कथाएँ वैदिक पुराणों से हैं, फिर भी कुछ कथाएँ बौद्ध जातकों व जैन पुराणों व जैनागमों के टीका ग्रंथों से भी ली गई हैं। इनमें नीति व सदाचार की कथाएँ मुख्य हैं। सांप्रदायिक सद्भाव को इंगित करती हुई भी अनेक कथाएँ हैं, अनेक कथाएँ सदाचार व नैतिकता का संदेश देती हैं।
कथाएँ पौराणिक हैं, उनकी व्याख्या की चेष्टा आधुनिकी है।

Publication Language

Hindi

Publication Access Type

Freemium

Publication Author

KUSUM PATORIA

Publisher

Prabhat Prakashana

Publication Year

2011

Publication Type

eBooks

ISBN/ISSN

8188139459'

Publication Category

Premium Books

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