Khetri Naresh Aur Viveakanand by Jhabarmall Sharma

खेतड़ी नरेश और विवेकानंद

बाप्पा रावल, राणा प्रताप और मीराबाई की अस्थि-मिश्रित, पुनीत बालुकामयी राजपूताने की मरुभूमि में कुछ ऐसी ज्योतिर्मयी शक्‍ति है कि समय-समय पर उस रक्‍त-रंजित स्थल में वह शक्‍ति लोगों के हितार्थ मानव रूप धारण किया करती है। स्वर्गीय राजा अजीतसिंह भी उस शक्‍ति के एक प्रतिबिंब थे। स्वामी विवेकानंद और राजा अजीतसिंह उस सृजनहार शक्‍ति के दो निकटतम रूप थे, जो इस संसार में उस शक्‍ति की प्रेरणा से आए थे और अपना कर्तव्य-पालन करके उसी में लीन हो गए।
स्वामीजी ने अपने आध्यात्मिक बल से अमेरिका में वेदांत-पताका फहराकर भारतवर्ष और हिंदू जाति का गौरव बढ़ाया था। वस्तुतः स्वामीजी तरुण भारत के स्फूर्ति-स्रोत थे। अमेरिका में जाकर उन्होंने भारत के लिए जितने आंदोलन किए उतने कदाचित् किसी ने आज तक नहीं किए। इस आंदोलन में खेतड़ी-नरेश राजा अजीतसिंहजी का बड़ा योगदान था। स्वयं स्वामीजी की उक्‍ति है—“भारतवर्ष की उन्नति के लिए जो थोड़ा-बहुत मैंने किया है, वह खेतड़ी-नरेश के न मिलने से संभव न हो पाता।”
प्रस्तुत पुस्तक में स्वामी विवेकानंदजी द्वारा किए गए देश-हित के कार्यों में खेतड़ी-नरेश भी किस रूप में सहायक बने, उसका विस्तृत वर्णन है। समाज-कार्यों के लिए प्रोत्साहित करनेवाली एक अद‍्भुत कृति।

Publication Language

Hindi

Publication Access Type

Freemium

Publication Author

JHABARMALL SHARMA

Publisher

Prabhat Prakashana

Publication Year

2017

Publication Type

eBooks

ISBN/ISSN

9788177211801'

Publication Category

Premium Books

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