Maa Ki Loriyan Aur Sanskar Geet by Deenanath Sahani

लोकगीत भारतीय संगीत की आत्मा है। हमारी संस्कृति की अनूठी धरोहर है। यह शाश्वत सत्य है कि लोकगीतों में मानवीय जीवन की वह संवेदना है, जिससे हर हृदय की लडि़याँ जुड़ी हुई हैं। लोकगीतों में अतल सागर जैसी गहराई है। हर ऋतु, हर उत्सव, हर उमंग और हर रंग में गाए जाने वाले लोकगीत सहज ही हर मनुष्य को अपनी ओर आकृष्ट कर लेते हैं।
विभिन्न आंचलिक भाषाओं, बोेलियों की लोरियों और संस्कार गीतों के संग्रह करने में उसके मूल भाव और उसकी आत्मा को हूबहू प्रस्तुत किया गया है। यों भी कह सकते हैं कि ये लोरियाँ जहाँ असंख्य माताओं की भावाभिव्यक्तियाँ हैं, वहीं संस्कार गीत मनुष्य की वे परछाइयाँ हैं, जो मनुष्य की उत्पत्ति के समय से ही किसी-न-किसी रूप में संग चली आ रही हैं। हमें पहला संस्कार माँ की लोरियों से मिलता है। माँ के वात्सल्य भरे हृदय में स्वत: उपजी लोरियाँ न केवल पारिवारिक सदस्यों व नातेदारों से परिचय कराती हैं, बल्कि वनस्पतियों, नदियों, पहाड़ों, जीव-जंतुओं एवं संपूर्ण ब्रह्मांड से अपने रिश्ते को भी दरशाती हैं।
प्रस्तुत पुस्तक में वात्सल्य रस में पगी मीठी-मीठी लोरियाँ और संस्कार गीत समाहित हैं, जो हर आयु वर्ग के पाठकों को पसंद आएँगे।

Publication Language

Hindi

Publication Access Type

Freemium

Publication Author

DEENANATH SAHANI

Publisher

Prabhat Prakashana

Publication Year

2016

Publication Type

eBooks

ISBN/ISSN

9789350485422'

Publication Category

Premium Books

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