Naksali Aatankwad by Sushil Rajesh
नक्सली आतंकवाद—विवेक सक्सेना, सुशील राजेश
नक्सलवाद किसी भी तरह की क्रांति नहीं, बल्कि आतंकवाद का ही नया प्रारूप है। बेशक यह लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मुहम्मद के इसलामी आतंकवाद से भिन्न है, लेकिन नक्सलवाद को सामाजिक-आर्थिक-कानूनी टकराव करार नहीं दिया जा सकता। यह एक ऐसी जमात है, जिसे मुगालता है कि बंदूक की नली से 2050 तक भारत की सत्ता पर कब्जा किया जा सकता है। इस पुस्तक ‘नक्सली आतंकवाद’ का उपसंहार भी यही है। इस निष्कर्ष तक पहुँचने में हमने करीब चार दशक खर्च कर दिए और नक्सलियों को हम अपने ही भ्रमित बंधु मानते रहे। नतीजतन आज आतंकवाद से भी विकराल और हिंसक चेहरा नक्सलवाद का है। देश का करीब एक तिहाई भाग और आठ राज्य नक्सलवाद से बेहद जख्मी और लहूलुहान हैं। नक्सलवाद पर यह कमोबेश पहला प्रयास है कि सरकारी हथियारबंद ऑपरेशन के साथ-साथ नक्सलियों की रणनीति को भी समेटा गया है। तमाम पहलुओं का तटस्थ विश्लेषण किया गया है। नक्सलवाद की पृष्ठभूमि को भी समझने की कोशिश की गई है। यूँ कहें कि नक्सलवाद पर दो वरिष्ठ पत्रकारों का अद्यतन (अपडेट) अध्ययन है। पुस्तक की सार्थकता इसी में है कि सुधी पाठक और शोधार्थी इसे संदर्भ ग्रंथ के रूप में ग्रहण कर सकते हैं।
Publication Language |
Hindi |
---|---|
Publication Access Type |
Freemium |
Publication Author |
SUSHIL RAJESH |
Publisher |
Prabhat Prakashana |
Publication Year |
2016 |
Publication Type |
eBooks |
ISBN/ISSN |
9788173158902' |
Publication Category |
Premium Books |
Kindly Register and Login to Shri Guru Nanak Dev Digital Library. Only Registered Users can Access the Content of Shri Guru Nanak Dev Digital Library.
You must be logged in to post a review.
Reviews
There are no reviews yet.