Onkar-Saar by Indira Mohan

ओंकार हमारा सत्य है, हमारा आंतरिक अस्तित्व है, जिसकी ध्वनि-तरंग पृथ्वी से लेकर आकाश तक दसों दिशाओं में प्रतिध्वनित हो रही है। यह गूँज आनंद स्वरूप शिवत्व का प्रतीक है, परम सत्ता का ऐश्वय है, जीवन विवेक है, जिसे अपने आचार-विचार में अभिव्यक्त करना है। जैसे घाट की सीढि़यों के सहारे हम नदी में उतरते हैं, उसी प्रकार अर्थपूर्वक ॐ के आश्रय द्वारा हम परमात्मा की आनंदमय उपस्थिति का अनुभव कर सकते हैं।
ॐ की ध्वनि सर्वाधिक पवित्र एवं दिव्य है। इससे और अधिक सुंदर, अधिक सार्थक एवं आह्लादकारी कुछ भी नहीं है। ओंकार की सतत साधना पूरी सृष्टि से अपनी आत्मीयता उजागर कर जीवन का कायाकल्प कर सकती है। तब पता चलता है कि हम ही बादलों में हैं, चाँद-सितारों में हैं, खेत-खलिहानों में हैं। कल-कल बहते झरने नदी में समा गए हैं—अब हम बूँद नहीं, सागर हो गए हैं।
ओंकार के माहात्म्य और इसकी महत्ता को सरल-सुबोध भाषा में प्रस्तुत करती पठनीय पुस्तक, जिसके अध्ययन से आप स्वयं को आध्यात्मिक स्तर पर उन्नत हुआ पाएँगे।

Publication Language

Hindi

Publication Access Type

Freemium

Publication Author

INDIRA MOHAN

Publisher

Prabhat Prakashana

Publication Year

2017

Publication Type

eBooks

ISBN/ISSN

9788193397442'

Publication Category

Premium Books

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