Palbhar Ki Pahchan by Sachchidanand Joshi
डॉ. सच्चिदानंद जोशी की पुस्तक ‘कुछ अल्प विराम’ को काफी अच्छी प्रतिक्रियाएँ मिलीं। कुछ ने कहा कि यह अनिवार्यतः पढ़ी जाने लायक किताब है। कुछ ने कहा इसे तो महाविद्यालयों के पाठ्यक्रम में जोड़ दिया जाना चाहिए। कुछ ने तो यहाँ तक कह दिया कि इस पुस्तक के माध्यम से गल्प कहने की एक नई विधा ही जन्म ले रही है। ‘कुछ अल्प विराम’ को नए तरह का रचना-प्रयोग मानने वालों की भी संख्या अच्छी-खासी रही। उसी प्रयास का परिणाम है उसी शृंखला की यह दूसरी पुस्तक ‘पल भर की पहचान’। लेखक ने शब्दचित्रों का जो नया प्रयोग प्रारंभ किया है, उसे आगे बढ़ाने का विचार है। जितना बढ़ेगा और पसंद किया जाएगा, और आगे बढ़ाते रहेंगे। हमारी जिंदगी की आपाधापी में परेशानियाँ और चुनौतियाँ तो रोज ही हमारे सामने हैं। उसी संघर्ष की बेला में हमारे सामने या इर्द-गिर्द यदि कोई छोटी सी भी सकारात्मक घटना घट जाए तो वह बहुत सुकून देती है। या फिर जिंदगी की चुनौतियों से जूझता कोई सकारात्मक व्यक्ति मिल जाता है तो वह हमें भरी गरमी में शीतलता का अहसास देता है। ऐसे क्षणों को या व्यक्तियों को सँजोकर रखना किसी बड़े भारी बैंक बैलेंस से कम नहीं है।
इस संग्रह के बहाने ऐसे कुछ और लोगों को तथा ऐसे कुछ और प्रसंगों को सामने लाने का प्रयास है जिनकी सकारात्मकता हमें नई दृश्टि देती है, नया उत्साह देती है। लेखक ने कोशिश की है कि बिना शब्दों का आडंबर रचे तथा बिना अतिरंजना किए, व्यक्तियों को अथवा घटनाओं को सीधी-सरल भाषा में पाठकों के समक्ष प्रस्तुत कर सकें। विशेष रूप से हमारे युवा साथियों के सामने जिनके अंदर हिंदी भाषा के प्रति अनुराग और आकर्षण ऐसे प्रयोग के माध्यम से पैदा करना आवश्यक है, और यह पुस्तक ऐसा एक प्रयास भी है।
Publication Language |
Hindi |
---|---|
Publication Access Type |
Freemium |
Publication Author |
SACHCHIDANAND JOSHI |
Publisher |
Prabhat Prakashana |
Publication Year |
2019 |
Publication Type |
eBooks |
ISBN/ISSN |
9789386871978' |
Publication Category |
Premium Books |
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