Rajendra Rao Ki Lokpriya Kahaniyan by Rajendra Rao

दैनिक जागरण समूह के ‘पुनर्नवा’ साहित्य परिशिष्ट के संपादक लब्धप्रतिष्ठ वरिष्ठ कथाकार श्री राजेंद्र राव देश के अग्रपंक्ति के महत्त्वपूर्ण रचनाकार हैं। जब हिंदी की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं का प्रकाशन सैकड़ों-हजारों में नहीं, लाखों प्रतियों में होता था, ऐसे सत्तर और अस्सी (बीती सदी) के दशक में अपनी कथाओं, धारावाहिकों, शृंखलाओं के माध्यम से साहित्य-जगत् में ख्याति की बुलंदियों का स्पर्श करनेवाले राजेंद्र राव ने हिंदी जनों के मनों में अपनी जो अमिट छाप अंकित की, वह अद्यतन कायम है। हमारे समय के कथात्मक परिदृश्य के बहुपठित, लोकप्रिय कथाकार राजेंद्रजी की स्थापनाएँ कथा विधा के जीवंत प्रतिमान रचती हैं। यही वजह है कि वे गद्य विधा के संस्थान तथा विशेषज्ञ के रूप में ख्यात हैं। वे ऐसे पहले रचनाकार हैं, जिन्होंने अभियांत्रिकी जैसे नीरस विषयों पर भी एक से बढ़कर एक कथाएँ लिखकर हिंदी साहित्य को समृद्ध किया है। उनकी रचनात्मकता नए और अनछुए क्षेत्रों/ विषयों की रोचक रंजक सृजन-भूमि का उत्खन्न करती है।
कथेतर गद्य की लगभग सभी विधाओं में बहुमुखी, बहुआयामी रचना-दृष्टि की सुस्पष्ट छाप दिखाई देती है। अमूर्त भावों के दृश्य चित्रण में सुदक्ष कथाशिल्पी राजेंद्रजी ने बदलते समय की पदचाप के परिणामस्वरूप शनैः-शनैः खंडित होते, बदलते, करवट लेते पारंपरिक समाज की पारिस्थितिकी को, व्यष्टि और समष्टि को अत्यंत बारीकी के साथ अपनी कथाओं में उत्कीर्ण किया है।
—डॉ. दया दीक्षित
एसोशिएट प्रोफेसर, हिंदी विभाग,
डी.ए.वी. कॉलेज, कानपुर (उ.प्र.)

Publication Language

Hindi

Publication Access Type

Freemium

Publication Author

RAJENDRA RAO

Publisher

Prabhat Prakashana

Publication Year

2018

Publication Type

eBooks

ISBN/ISSN

9789352662937'

Publication Category

Premium Books

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