Ramkatha Aaram by Viveki Rai

‘जातस्य हि धु्रवोर्मृत्यु ध्रुवजन्म मृतस्य च’, अर्थात् जिसकी मृत्यु निश्चित है, उस मृतक का जन्म भी निश्चित है। हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकार व चिंतक-विचारक डॉ. विवेकी राय इस विधान से बाहर कैसे रह सकते थे।
उनके सृजन-संसार का विपुल भंडार साहित्य-जगत् को उपलब्ध है। हालाँकि उनके रचना-कर्म की अमूल्य गठरी में अभी बहुत कुछ है, जिसे लोकमानस तक पहुँचाया जाना शेष है। उसकी एक महत्त्वपूर्ण कड़ी है बाबूजी की शुचिता और संबंधों के बीच रचना विधान का लोकसृजन करती यह कृति ‘रामकथा आराम’। उनकी यह धरोहर पाठक तक पहुँचे, जिससे साहित्य की विपुल संपदा को और समृद्धि मिले।
सोलह रचनाशिल्पियों की विधागत दक्षता को पन्नों पर उकेरती यह कृति न सिर्फ ऋषि-परंपरा की साहित्यिक विपुलता को आम पाठक वर्ग तक संप्रेषित करेगी बल्कि विविध विधाओं में रचे विधान को पाठकों के समक्ष प्रस्तुत कर एक नई दृष्टि का सूत्रपात करेगी।

Publication Language

Hindi

Publication Access Type

Freemium

Publication Author

VIVEKI RAI

Publisher

Prabhat Prakashana

Publication Year

2019

Publication Type

eBooks

ISBN/ISSN

9789386870421'

Publication Category

Premium Books

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