Rishton Ki Neenv by Mamta Mehrotra

“बड़ी बी, जरा बच्चों का ध्यान रखना। मैं तब तक कुछ करता हूँ।”
बाहर निकल पास के पी.सी.ओ. से उसने हाथी के उम्मीदवार को फोन लगाया, “सर…!”
“कौन…?”
“सर, मैं सत्येंद्र का पिता…।”
“कौन सत्येंद्र?” हाथी के नेता का तुरंत जवाब था। फिर जैसे दिमाग पर जोर देते हुए और अपने आपको सँभालते हुए बोला, “हाँ-हाँ, नाम तो काफी जाना- पहचाना लग रहा है। अच्छा-अच्छा, हाँ-हाँ याद आया। हाँ-हाँ, बोलिए?”
काफी राहत महसूस करते हुए सत्येंद्र के पिता बोले, “सर, बड़ी मुश्किल में हूँ। सत्येंद्र की माँ…” और वे रोने लगे। अपनी कमजोरी पर उनको ग्लानि भी हुई, पर वे अपने को रोक नहीं पा रहे थे।
“सर…।”
“हाँ-हाँ, बोलो। क्या हुआ? उनका देहांत…।” फिर बात जबान से काट ली।
“नहीं सर, वह… उसको काफी कै, उल्टी हो रही है। ठंड ने उसको जैसे जकड़ लिया है। डर है सर, कहीं इतना कस के न जकड़ ले कि बूढ़ी सँभल ही न पाए।?”
—इसी संग्रह से
ममता मेहरोत्रा विभिन्न परिवेश एवं आस्वाद की कहानियाँ लिखने में सिद्धहस्त हैं। उनका कहानी-संग्रह ‘रिश्तों की नींव’ रोचकता से भरपूर पठनीय है।

Publication Language

Hindi

Publication Access Type

Freemium

Publication Author

Mamta Mehrotra

Publisher

Prabhat Prakashana

Publication Year

2018

Publication Type

eBooks

ISBN/ISSN

9789387980112'

Publication Category

Premium Books

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