Samaya by Sanjay Sinha

मैं पूछता, ‘‘माँ, संसार क्या है?’’
‘‘सब समय है। ब्रह्मांड में सारे ग्रह घूम रहे हैं। ग्रहों का यह चक्र ही समय है। यही संसार है।’’
‘‘माँ, फिर ‘जिंदगी’ क्या है?’’
‘‘यह समय का एक छोटा सा क्षण है। धरती पर आने और जाने के बीच के इसी क्षण को जिंदगी कहते हैं। लोग रोज आते हैं, रोज चले जाते हैं।’’
‘‘फिर उसके बाद?’’
‘‘फिर समय का पहिया घूमता हुआ आता है और हमें एक नए संसार में ले जाता है। नए रिश्तों से जोड़ देता है। नई जिंदगी मिल जाती है।’’
‘‘फिर इतनी मारा-मारी क्यों, माँ?’’
‘‘अज्ञान की वजह से।’’
‘‘यह अज्ञान क्यों?’’
‘‘अहंकार की वजह से। जैसे आँखें सबकुछ देखती हुई भी खुद को नहीं देख पातीं, उसी तरह अज्ञान भी खुद के वजूद का पता नहीं चलने देता।’’
‘‘फिर मुझे क्या करना चाहिए?’’
‘‘तुम जीना। जीने की तैयारी में जिंदगी खर्च मत करना।’’
मैं जीने लगा हूँ, आप भी चलिए मेरे साथ ‘समय’ के सफर पर।

Publication Language

Hindi

Publication Access Type

Freemium

Publication Author

SANJAY SINHA

Publisher

Prabhat Prakashana

Publication Year

2016

Publication Type

eBooks

ISBN/ISSN

9789351866961'

Publication Category

Premium Books

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