Shri Guru Nanak Devji by Dr. Kuldeep Chand Agnihotri

प्रस्तुत पुस्तक में दशगुरु परंपरा के प्रथम गुरु श्री नानक देवजी के बहुपक्षीय व्यक्तित्व का सारगर्भित अध्ययन प्रस्तुत किया गया है। नानक देवजी की कर्मसाधना, भक्तिसाधना और ज्ञानसाधना का फलक अत्यंत विशाल है। नानक को जानने के लिए, नानक को अपने भीतर अनुभव करना होगा। उन वीरान बियावानों की मानसिक यात्रा करनी होगी जिनकी नानक देवजी ने यथार्थ में यात्रा की थी। सुदूर दक्षिण में धनुषकोटि के किनारे विशाल सागर की उत्ताल लहरों को देखते हुए, उनमें श्रीलंका को जा रहे नानक देव की छवि को अपने मुँदे नेत्रों से देखना होगा। नानक को जानने का यही अमर नानक-मार्ग है। इस पुस्तक में लेखक ने यही करने का प्रयास किया है। नानक देवजी को समझने-बूझने के लिए, उस कालखंड की सभी परतों को उन्होंने एक-एक कर अनावृत्त किया है। यह पुस्तक किसी एक ढर्रे से बँधी हुई नहीं है, बल्कि नानक देवजी के विविधपक्षीय जीवन के ताजा स्नैप्स हैं। इसलिए इस अध्ययन में एक ताजगी है; ताजा हवा के एक झोंके का अहसास। गुरु नानक देवजी से शुरू हुई इस यात्रा के अंतिम अध्याय तक पहुँचते-पहुँचते, रास्ते के सभी पड़ावों की अविछिन्नता एवं वैचारिक निरंतरता को पुस्तक के अंतिम अध्याय में इंगित किया गया है। पुस्तक की उपादेयता विविध प्रसंगों की नवीन युगानुकूल व्याख्या में है।

Publication Language

Hindi

Publication Access Type

Freemium

Publication Author

DR. KULDEEP CHAND AGNIHOTRI

Publisher

Prabhat Prakashana

Publication Year

2019

Publication Type

eBooks

ISBN/ISSN

9789353226503'

Publication Category

Premium Books

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