Sitamarhi Charit by Shri Lallan Prasad Sinha

सीतामढ़ी की वास्तविक उपलब्धि उसके आध्यात्मिक चिंतन में देखी जा सकती है, किंतु संस्कृत और मिथिलाक्षर में लिखित एतत्संबंधी ग्रंथ इधर-उधर बिखरे हैं और दीमकों का भोजन बन रहे हैं। इन पुस्तकों को ढूँढ़ निकालना और सामने लाना कठिन, पर महत्त्वपूर्ण काम है। अगर वह सारी सामग्री प्रकाशित हो जाए तो सीतामढ़ी के वैभव का सच्चा साक्षात्कार हो सकता है। इस दिशा में पहल जब तक नहीं होगी, तब तक सीतामढ़ी की खोज अधूरी ही रहेगी।
सीतामढ़ी का विकास वास्तव में अधूरा और अटपटा है। बाढ़ और अकाल इस क्षेत्र की पुरानी समस्याएँ है। भूकंप के पश्चात् जल के जमाव से मच्छरों के प्रकोप से नई-नई बीमारियाँ सामने आई हैं। बढ़ती जनसंख्या का बोझ दुर्वह है। लोक बेकारी से बेचैन हैं। विकास की गति कुंठित है। भय, भूख और भ्रष्टाचार का बोलबाला है।
यह ग्रंथ सीतामढ़ी जिले के प्रथम ‘प्रैक्टिकल गजेटियर’ के रूप में समझा जा सकता है। सीतामढ़ी पहले मुजफ्फरपुर जिले का एक अनुमंडल था। मुजफ्फरपुर जिले का पहला ‘गजेटियर’ एक अंग्रेज आई.सी.एस. अधिकारी श्री एल.एस.एस.ओ. मेली ने 1907 ई. में प्रकाशित कराया था। तब यह जिला बंगाल प्रांत का हिस्सा था। अर्धशताब्दी बीत जाने के बाद सन् 1958 में श्री पी.सी. रायचौधरी ने मुजफ्फरपुर जिले का संशोधित ‘गजेटियर’ प्रस्तुत किया था। ये दोनों ही काम सरकारी स्तर पर हुए थे। गैर-सरकारी स्तर पर नव सृजित जिले सीतामढ़ी के संबंध में ‘गजेटियर’ जैसी ही कोई चीज प्रस्तुत करने का यह पहला प्रयास है, जो सीतामढ़ी के गौरवशाली अतीत और समृद्ध सामाजिक-सांस्कृतिक जीवन का दिग्दर्शन कराता है।

Publication Language

Hindi

Publication Access Type

Freemium

Publication Author

SHRI LALLAN PRASAD SINHA

Publisher

Prabhat Prakashana

Publication Year

2019

Publication Type

eBooks

ISBN/ISSN

9788177213874'

Publication Category

Premium Books

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