Sulochana by Biswanath Datta

नए भारत के अन्यतम स्रष्‍टा, विश्‍‍ववंदित स्वामी विवेकानंद के पिता विश्‍वनाथ दत्त ने ‘सुलोचना’ नामक एक जनप्रिय सामाजिक उपन्यास की रचना की थी। ‘सुलोचना’ उपन्यास के प्रकाशन काल में नरेंद्रनाथ की जन्मस्थली के दत्त लोग सैकड़ों पारिवारिक समस्याओं से जर्जर थे। बाद में संसार-विरागी नरेंद्रनाथ को भी अपनी असहाय जननी भुवनेश्‍वरी और नाबालिग भाई-बहनों की अधिकार-रक्षा के मामले-मुकदमों में फँसना पड़ा था।
संयुक्‍त परिवार के जटिल भँवर में फँसी विवेकानंद-जननी भुवनेश्‍वरी जैसे अपने असहाय बेटे-बेटियों के साथ अपमानित और दुखित हुईं और बीच-बीच में अनुपस्थित पति की जन्मस्थली से निर्वासित हुई थीं, उसकी पृष्‍ठभूमि में क्या ‘सुलोचना’ चरित्र की सृष्‍ट‌ि हुई थी? सुलोचना चरित्र के पीछे से क्या स्वयं भुवनेश्‍वरी नहीं झाँक रही हैं? तो क्या राम-जन्म से पहले ही रामायण की सृष्‍ट‌ि साहित्य के आँगन में आज भी घटती रहती है?
नरेंद्रनाथ दत्त जिस कठिन परिवेश में बड़े हुए, भुवनविदित स्वामी विवेकानंद बने, उस बारे में हम भले कुछ जानते हों, लेकिन बहुत कुछ हम आज भी नहीं जानते। विस्मृति के अतल गर्भ से, बंकिम के ‘आनंदमठ’ उपन्यास के प्रकाशन से पहले प्रकाशित विश्‍वनाथ दत्त के बँगला उपन्यास को जन-समूह के समक्ष प्रस्तुत करके बँगला के सुप्रसिद्ध लेखक शंकर ने विवेकानंद की चर्चा में और एक उल्लेखनीय अध्याय जोड़ दिया है।

Publication Language

Hindi

Publication Access Type

Freemium

Publication Author

BISWANATH DATTA

Publisher

Prabhat Prakashana

Publication Year

2015

Publication Type

eBooks

ISBN/ISSN

9789350485538'

Publication Category

Premium Books

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