Vivekanand Aur Rashtravad by Major (Dr.) Parshuram Gupt

स्वामी विवेकानंद के जन्म को डेढ़ सदी बीत चुकी है। लेकिन आज भी उनके संदेश युवाओं के लिए प्रेरणा के स्रोत बने हुए हैं। संपूर्ण राष्‍ट्र के भविष्य की दिशा तय करने में भी उनके विचार निर्णायक भूमिका का निर्वहण करने की क्षमता रखते हैं। आज वेदांत-दर्शन को विज्ञान की मान्यता मिलने लगी है, जिससे स्वामीजी के विचार और भी प्रासंगिक हो गए हैं।
स्वामीजी ने युवाओं का आह्वान करते हुए कहा था कि निराशा, कमजोरी, भय, आलस्य तथा ईर्ष्या युवाओं के सबसे बड़े शत्रु हैं। उन्होंने युवाओं को जीवन में लक्ष्य निर्धारण करने के लिए स्पष्‍ट संदेश दिया और कहा कि तुम सदैव सत्य का पालन करो, विजय तुम्हारी होगी। आनेवाली शताब्दियाँ तुम्हारी बाट जोह रही हैं। उन्होंने कहा था कि हमें कुछ ऐसे युवा चाहिए, जो देश की खातिर अपना सर्वस्व न्योछावर करने को तैयार हों। ऐसे युवाओं के माध्यम से वे देश ही नहीं, विश्‍व को भी संस्कारित करना चाह रहे थे।
स्वामीजी प्रखर राष्‍ट्रवाद के प्रबल समर्थक थे। उनका मानना था कि राष्‍ट्र के प्रति गौरवबोध से ही राष्‍ट्र का कल्याण होगा। हिंदू संस्कृति, समाजसेवा, चरित्र-निर्माण, देशभक्‍ति, शिक्षा, व्यक्‍तित्व तथा नेतृत्व इत्यादि के विषय में स्वामीजी के विचार आज अधिक प्रासंगिक हैं।
स्वामीजी के संपूर्ण मानवता और राष्‍ट्र को समर्पित प्रेरणाप्रद जीवन का अनुपम वर्णन है—राष्‍ट्ररक्षा, राष्‍ट्रगौरव एवं राष्‍ट्राभिमान का पाठ पढ़ानेवाली, राष्‍ट्रवाद का अलख जगानेवाली इस अत्यंत जानकारीपरक पुस्तक में।

Publication Language

Hindi

Publication Access Type

Freemium

Publication Author

MAJOR (DR.) PARSHURAM GUPT

Publisher

Prabhat Prakashana

Publication Year

2013

Publication Type

eBooks

ISBN/ISSN

9789383111343'

Publication Category

Premium Books

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